अफसर के सिग्नेचर के लिए भटकते पिता को देख बेटी ने ली थी सौगंध, बनी IAS

ये कहानी है आईएएस अधिकारी रोहिणी भाजीभाकरे की जिन्होंने महज एक हस्ताक्षर के लिए बड़े साहब के ऑफिस के चक्कर काट-काटकर बेबस देख अपने पिता को एक प्रण लिया था | वो आईएएस बनेंगी | सिस्टम को सुधारेंगी। उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की | ये सपना पूरा भी किया।

आईएएस अधिकारी रोहिणी महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक गरीब किसान की बेटी है जिनको सरकारी लाभ के लिए बड़े साहब के दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे थे लेकिन बड़े साहब तो बड़े साहब हैं। इतनी आसानी से गरीब किसान के कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए तो उसे अपनी ताकत का अहसास कैसे कराते ।

इधर किसान बेहद दुखी और बेबस था।अपने पिता की बेबसी को देखकर उनकी बेटी पूछती है कि पापा इस समस्या को हल करने की सबसे बड़ी ताकत किसके पास है तो पापा ने जवाब दिया – जिलाधिकारी के पास। अपने पिता से ये बात सुनकर उस लड़की ने उस दिन जिलाधिकारी बनने की ठानी और आज आईएएस बनकर देश की सेवा कर रही हैं ।

आईएएस बनने से पहले उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उनकी तैनाती फिलहाल तमिलनाड़ु में है। वह बेहद शालीनता और कर्तव्यनिष्ठता से अपना काम करती हैं और गरीबों की हरसंभव सहायता करती हैं जिसके चलते वह लोगो में बहुत लोकप्रिय हैं।

आईएएस रोहिणी आज भी अपनी पिता के उस बेबसी वाले वक्त को याद करती हैं। अपने पद की कर्तव्यनिष्ठता को पूरी शालीनता से निभा रही है |

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