आर्थराइटिस से बचना है तो आज ही अपना ले ये उपाय ….

एक दशक पहले तक हैजा, टीबी और गर्भाशय का कैंसर महिलाओं को होने वाली सेहत से जुड़ी मुख्य समस्याएं थीं. इन दिनों नई बीमारियां, जैसे कार्डियो वैस्क्यूलर डिजीज, डायबिटीज और आस्टियोआर्थराइटिस जैसे रोग 30 वर्ष से अधिक आयुवर्ग की युवा महिलाओं में फैले हुए हैं. इन दिनों कम शारीरिक सक्रियता वाली जीवनशैली की वजह से दबाव संबंधी कारक और मोटापा जोखिम पैदा करने वाले कुछ ऐसे कारक हैं जिन का संबंध आस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं से माना जाता है. इसलिए, यदि कोई स्वस्थ जीवन जीना चाहता है तो जरूरी है कि वह अपनी हड्डियों की देखभाल पर विशेष ध्यान दे. आस्टियोआर्थराइटिस की रोकथाम और काम व जीवन के बीच स्वस्थ संतुलन कायम करने के लिए यहां ऐसे टिप्स बताए जा रहे हैं, जिन पर महिलाओं को ध्यान देना चाहिए.

सुडौल शरीर: यह देखा गया है कि महिलाओं में आस्टियोआर्थराइटिस का प्रमुख कारण मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली है. इसलिए महिलाओं के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे गंभीरता से वजन घटाने के उपाय अपनाएं और उन्हें अपनी दैनिक जीवनशैली में शमिल करें. योग, हलके व्यायाम, जैसे पैदल चलना और बोलिंग (एक खेल) करना आदि बेहतर विकल्प हो सकते हैं. रोगग्रस्त महिला को बागबानी, सीढि़यां चढ़ने आदि जैसे कामों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये काम घुटनोें के जोड़ों पर भार डालते हैं.

जीवनशैली में बदलाव: कई बार महिलाएं ऊंची एड़ी के या गलत किस्म के सैंडल पहनती हैं, जिस के नतीजे के तौर पर घुटनों के जोड़ पर दबाव पड़ता है. घुटने के आस्टियोआर्थराइटिस से बचने के लिए, डाक्टरों द्वारा अंदरूनी सोल वाले विशेष जूते पहनने की सलाह दी जाती है, जो जल्दीजल्दी चलनेफिरने के  लिए शरीर को जरूरी सहारा दे सकते हैं.

भोजन के सही विकल्प: सब्जियों, जैसे लहसुन, प्याज और हरे प्याज से भरपूर आहार तकलीफदेह आस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में मदद कर सकता है. ऐसा भोजन लें जो विटामिन ई से भरपूर हो, जैसे स्ट्राबैरी, बैगन, गोभी, पालक, बंदगोभी और खट्टे फल संतरा, मौसमी आदि.

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