उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान बड़ा घोटाला, होटल के खाली कमरों के भुगतान कर दिए 1.80 करोड़ !

लखनऊ
यूपी इन्वेस्टर्स समिट और ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के नाम पर कई होटलों में तीन दिन के लिए कमरे बुक हुए। ज्यादातर कमरे खाली रहे, लेकिन होटलों को 1.80 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत के बाद तत्कालीन प्रमुख सचिव ने जांच बैठाई। जांच में आरोप सही साबित हुए, लेकिन हैरत की बात यह है कि इतनी बड़ी अनियमितता के लिए सिर्फ पर्यटन निदेशालय का समूह ‘ग’ का कर्मचारी ही दोषी पाया गया और उसे केवल दूसरे जिले में ट्रांसफर करने की ही सिफारिश की गई है। वहीं, 5 अक्टूबर को हुई इस सिफारिश के छह दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इन्वेस्टर्स समिट-2018 और 2019 की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में पर्यटन विभाग के अधिकारियों की मनमानी सामने आई है। आरोप है कि अधिकारियों ने एक छोटे कर्मचारी को आगे करके उसके जरिए होटलों को मनमाना भुगतान करवाया और कमिशन लिया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक समूह ग के कर्मचारी पारिजात पांडेय ने अफसरों के इशारे पर देश-विदेश से समिट के लिए आए मेहमानों के लिए होटलों में बल्क बुकिंग की। कर्मचारी ने उन कमरों का भुगतान भी कर दिया, जिनमें अतिथि ठहरे नहीं थे। यह खेल तब हुआ, जब सभी की जानकारी में था कि प्रदेश में निवेश लाने के प्रयास के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ का यह पहला ड्रीम प्रॉजेक्ट था और अधिकारियों ने इसमें भी भ्रष्टाचार कर डाला।

गाइडलाइंस का हुआ उल्लंघन
आयोजन के समय औद्योगिक विकास मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें पर्यटन विभाग को 1,279 कमरे और 54 सूट बुक करवाने को कहा गया था। यह भी तय हुआ था कि जिन कमरों में लोग रुकेंगे, उन्हीं का भुगतान होगा। इसकी जिम्मेदारी पर्यटन निदेशालय के ‘समूह ग’ के कर्मचारी पारिजात पांडेय को दी गई। कर्मचारी ने लखनऊ के हयात, ताज, फॉर्च्यून, लीनेज, ग्रैंड जेबीआर, मैरियट आदि होटलों में कमरे बुक करवाए और बिना बड़े अधिकारी से सहमति लिए खाली कमरों का भी भुगतान कर दिया।मेरी जानकारी में तो है नहीं। डीजी टूरिज्म की जानकारी में शायद जांच और कार्रवाई की बात हो। मेरी जानकारी में अगर पत्र आता है तो निश्चित तौर पर मैं डीजी को निर्देशित करूंगा।मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव, पर्यटन


जांच में पाया गया कि ग्रैंड जेबीआर में एक भी व्यक्ति नहीं रुका और यहां बुक हुए 17 कमरों का पेमेंट किया गया। लेबुआ, फॉर्च्यून, नोवोटेल, लीनेज में आधे से ज्यादा कमरे खाली थे, लेकिन भुगतान पूरे तीन दिन के लिए किया गया। हयात में आधे से ज्यादा कमरे खाली थे, लेकिन 48 लाख रुपये का भुगतान हुआ।

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