उपेक्षाओं के दलदल में खिला बीजेपी के उम्मीदों का ‘कमल’

उपेक्षा से मन आहत था। इसका इजहार भी किया। कांग्रेस नेतृत्व फिर भी नहीं चेता। यही वजह है कि उपेक्षाओं के दलदल में अम्मार के मन में भाजपा का कमल खिल गया। 53 वर्ष कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद बुधवार को उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

दिग्गज नेता डॉ. अम्मार रिजवी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में शामिल किया था। गत 19 नवंबर 1966 को देश की पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें कांग्रेस में सदस्यता दिलाई थी। 1974 में उन्होंने महमूदाबाद से पहला चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री बनाये गए। 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में हार गए। 1980 में वे फिर चुनाव जीते। 1986 में डा. रिजवी एमएलसी बनाये गए। उन्होंने लगातार सरकारों में सोलह-सोलह विभागों के कैबिनेट मंत्री का दायित्व संभाला। श्रीपति मिश्रा और विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में दो बार प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री भी रहे। जिसके बाद वे कांग्रेस के नेता विरोधी दल भी बनाये गए। कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की कमेटी में कई प्रमुख पदों का दायित्व संभाला। राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में यह विधानसभा के उपाध्यक्ष बनाये गए थे। चुनाव के समय दे दिया इस्तीफा

डा. रिजवी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सभी पदों ने दो अप्रैल 2019 को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने महमूदाबाद स्थित रम्माल हाउस पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं के सामने कांग्रेस पार्टी के पद छोड़ने का एलान किया था। हालांकि उन्होंने प्राथमिक सदस्यता अपने पास ही रखी थी। उन्होंने दलबदलुओं को तरजीह देने और मेहनतकश कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने जैसे गंभीर आरोप जड़े थे। उन्होंने कहा कि वर्षाें तक कांग्रेस को ढोने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी का आलाकमान कोई तरजीह नहीं देता।

महमूदाबाद को दी कई सौगातें

डा. रिजवी ने बतौर मंत्री महमूदाबाद क्षेत्र में कई सौगातें दी थी। 1974 में क्षेत्र में पहला फखरूद्दीन अली अहमद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शुरू करवाया था। जिसके बाद जवाहर लाल नेहरू पालीटेक्निक, तहसील भवन, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस स्टेडियम, पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस, दि किसान सहकारी चीनी मिल, कताई मिल स्थापित कराई।

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