एक ऐसा देश जंहा कुत्तों के लिए अलग से बनया जाता है शौचालय, जानिए क्या है खासियत

यह बात आमतौर पर हम सभजी जानते है कि शौचालय का उपयोग हर एक व्यक्ति करता है वही दुनिया में शौचालयों की कमी के प्रति जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार हर साल हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस की शुरुआत की गई. पूरी दुनिया में तकरीबन एक अरब वैश्विक आबादी आज भी खुले में शौच करती है. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अफगानिस्तान में 90 फीसदी अबादी के पास टेलीविजन है जबकि मात्र सात फीसदी लोगों के पास ही शौचालय है. विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर हम आपको कुछ ऐसे रोचक और मजेदार बताएंगे, जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे.

मिली जानकारी के मुताबिक कम्प्यूटर की-बोर्ड पर बैक्टीरिया की मात्रा एक टॉयलेट सीट से दो सौ गुना ज्यादा होती है. वही सिंगापुर में टॉयलेट में फ्लश नहीं करना कानूनी जुर्म है. इसके लिए बाकायदा जुर्माना भी है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक बार टॉयलेट में फ्लश करने पर करीब 26 लीटर पानी बहता है.

चीन में कुत्तों के लिए अलग से सार्वजनिक शौचालय होता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जी हाँ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लगभग 20 फीसदी लोग टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोते हैं. और मात्र 30 फीसदी लोग हाथ धोने के लिए साबुन का उपयोग करते हैं. वही ‘द स्कॉट पेपर कंपनी’ दुनिया की पहली ऐसी कंपनी है जिसने सन 1890 में टॉयलेट पेपर एक रोल पर बनाया. जंहा अगर आप दुनिया का सबसे महंगा शौचालय देखना चाहते हैं तो आपको अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन जाना होगा. इस स्टेशन में बने टॉयलेट की लागत करीब 19 मिलियन डॉलर है. एक छोटा बच्चा बाथरूम का प्रयोग सीखने से पहले करीब 10,000 बार नैपी बदलता है. 1992 में हुए एक सर्वे में ब्रिटिश टॉयलेट को दुनिया में सबसे ज्यादा खराब बताया जाता है.

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