करवा चौथ के बाद अब महिलाएं जुटी अहोई अष्टमी की तैयारियों में….

करवा चौथ के बाद महिलाएं अब अहोई अष्टमी की तैयारियों में जुट गई हैं. जिस तरह पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं करवा चौथ करती हैं, उसी तरह बच्चों के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं. कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी का पर्व आता है. वैसे तो ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता है, लेकिन अब महिलाएं इसे अपनी पुत्रियों के लिए भी करने लगी हैं.

इस बार इस व्रत शुभ संयोग बन रहा है. अहोई अष्टमी व्रत में मां पार्वती की पूजा की जाती है और महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस दिन से दीपावली के उत्सव का आरंभ हो जाता है. इस दिन महिलाएं चांदी की अहोई बनाती हैं और फिर उसकी पूजा करती हैं. इसकी महिमा का बखान पद्मपुराण में भी किया गया है.

व्रत की विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने और पूजा के समय ही पुत्र की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस व्रत में माता पर्वती की पूजा की जाती है. अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता के चित्र के साथ ही स्याहु और उसके सात पुत्रों की तस्वीर भी बनाई जाती है. देवी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़ा आदि रखकर कहानी कही और सुनी जाती है. सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं. इसमें उपयोग किया जाने वाला करना वही होना चाहिए, जिसे करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो. शाम में इन चित्रों की पूजा की जाती है. माता की पूजा करके उन्हें दूध-चावल का भोग लगाएं. लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें.

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