किसान आंदोलन में शामिल वकील ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखी वजह

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में शामिल पंजाब के एक वकील ने रविवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली।अमरजीत सिंह नामक इन वकील ने दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर अपनी जान दी और उनके पास से 18 दिसंबर को लिखा हुआ एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। ‘तानाशाह मोदी के नाम पत्र’ शीर्षक वाले इस नोट में उन्होंने किसानों के आंदोलन के समर्थन में आत्महत्या करने की बात कही है। सुसाइड नोट

अमरजीत ने सुसाइड नोट में लिखा- छला हुआ महसूस कर रहे किसान और मजदूर

पंजाब के फाजिल्का जिले के रहने वाले अमरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम अपने सुसाइड नोट में लिखा है, “भारत के लोगों ने आपको पूर्ण बहुमत, ताकत और भरोसा दिया ताकि आप उनकी जिंदगी को समृद्ध बनाएं… लेकिन बहुत दुख के साथ ये लिखना पड़ रहा है कि आप अंबानी और अडानी के प्रधानमंत्री बन गए हैं। आपके तीन कृषि कानूनों से किसान और मजदूर छला हुआ महसूस कर रहे हैं और उनका जीवन बर्बाद होना निश्चित है।”आलोचना

“किसानों और मजदूरों को सल्फास खाने पर मजबूर मत करो”

अपने नोट में अमरजीत ने आगे लिखा है, “लोग वोटों के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार और पीढ़ियों के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं। कुछ पूंजीपतियों को खिलाने के लिए आपने आम लोगों और खेती को तबाह कर दिया है, जो भारत की रीढ़ है… कृपया किसानों, मजदूरों और आम लोगों को सल्फास खाने पर मजबूर मत कीजिए। आपने सामाजिक तौर पर जनता और राजनीतिक तौर पर अकाली दल जैसे सहयोगियों को धोखा दिया है।”

“आपको गोधरा जैसी कुर्बानियों की चाह, इसलिए दे रहा जान”

अपने नोट के अंत में अमरजीत ने लिखा है, “ऐसा कहा जाता है कि आपको गोधरा जैसी कुर्बानियों की चाह है, इसलिए मैं इस विश्‍वव्‍यापी विरोध के समर्थन में अपना बलिदान दे रहा हूं ताकि आपकी गूंगी और बहरी आत्मा को जगाया जा सके।”कार्रवाई

सुसाइड नोट की सत्यता की जांच कर रही पुलिस

पुलिस के अनुसार, जहर खाने के बाद अमरजीत को रोहतक स्थित एक अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने अस्पताल प्रशासन से ही आत्महत्या के बारे में पता चलने की बात कही है।

अमरजीत के परिजनों को भी सूचित कर दिया है और उनका बयान दर्ज किया जाएगा। पुलिस मौके से बरामद किए गए अमरजीत के सुसाइड नोट की सत्यता की जांच भी कर रही है।अन्य मामले

आंदोलन के दौरान कुल तीसरी आत्महत्या

पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान ये पहली आत्महत्या नहीं है और इससे पहले कम से कम दो लोग आत्महत्या कर चुके हैं।

इस महीने की शुरूआत में ही राम सिंह नामक एक 65 वर्षीय सिख संत ने सिंघू बॉर्डर के पास खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके कुछ दिन बाद एक 22 वर्षीय किसान ने भी बठिंडा में प्रदर्शन से लौटने के बाद आत्महत्या कर ली थी।पृष्ठभूमि

क्यों विरोध कर रहे हैं किसान?

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।

पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।गतिरोध

असफल रही है पांच दौर की बैठक, 29 दिसंबर को अगले दौर की बैठक

मुद्दे पर सरकार और किसानों के बीच अब तक पांच दौर की औपचारिक और एक बार अनौपचारिक बैठक हो चुकी है। इसके बावजूद अभी तक गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकला है।

सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है, लेकिन किसान संगठनों की मांग है कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसानों और सरकार के बीच 29 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत होनी है।

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