किसी सूरत में ‘वापस’ नहीं होगा सीएए

लखनऊ। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों पर नागरिकता संशोधन कानून के बारे में भ्रम फैलाकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुये केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि विरोध करने वालों को पता होना चाहिये कि सरकार किसी भी सूरत में सीएए को वापस लेगी। शाह ने मंगलवार को सीएए के समर्थन में यहां आयोजित जन जागरण रैली में कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वाले विपक्षी दल सीएए को लेकर खास समुदाय के लोगों के बीच भ्रम फैला रहे हैं। सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाला कानून है और इसमें किसी भारतीय की नागरिकता वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
बांग्लाबाजार क्षेत्र के रामकथा पार्क में गृहमंत्री ने कहा कि मैं दावे के साथ कहता हूं कि कांग्रेस, ममता बनर्जी, अखिलेश, मायावती और केजरीवाल इस बिल के खिलाफ भ्रम फैला रहे हैं। मैं उनको चुनौती देता हूं कि वे इस कानून के बारे में किसी भी मंच पर चर्चा कर साबित करें कि सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता कैसे ले सकता है।
उन्होने कहा कि कांग्रेस के पाप के कारण धर्म के आधार पर भारत मां के दो टुकड़े हो गए। इन आंख के अंधे और कान के बहरे लोगों को वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार दिखाई नहीं दे रहा है। मैं आज डंके की चोट पर कहने लखनऊ आया हूं कि जिसको जो करना है कर ले, सीएए वापस नहीं होने वाला है।
धर्म के आधार पर नागरिकता संविधान के खिलाफ: कांग्रेस: नई दिल्ली। कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध हो रहे प्रदर्शनों को लेकर केंद्र की चुप्पी पर हैरानी जताते हुए सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के खिलाफ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस कानून को लेकर देश की जनता से असत्य बोल रहे हैं और भ्रम फैला रहे हैं। लोगों में इस कानून के क्रियान्वयन को लेकर भय है, इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन मोदी और शाह उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं हैं। धर्म के आधार पर पहली बार नागरिकता दी जा रही है, जबकि संविधान में कहीं भी धर्म के आधार पर नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं है।
यही नहीं, जब किसी क्षेत्र का भारत में विलय होता है, तब भी धार्मिक भेदभाव के बिना वहां के लोगों को देश की नागरिकता दी जाती है। धर्म को आधार बनाकर नागरिकता देने का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं है।

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