क्रैब या केकड़े पालन से हो जाएंगे मालामाल, आइये जानते हैं पूरी जानकारी

क्रैब्स या केकड़े समुद्री खाद्य पदार्थो में से एक है और लोग इसे चाव से खाते हैं. पिछले कुछ दशकों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रैब्स की अच्छी खासी मांग बढ़ी है यही वजह है कि एशियाई देशों में क्रैब्स की खेती के नए तरीके ईजाद  हुए हैं. इसकी तीन प्रजातियों स्कायला पारामोसैन, स्कायला सैराटा और एस. ओलिवेसिया का पालन प्रमुखता से किया जाता है. तो आइये जानते हैं क्रैब्स का उत्पादन कैसे किया जाता है.

मड क्रैब की मांग

पिछले कुछ सालों से इंटरनेशनल बाजार में जिंदा क्रैब की डिमांड बढ़ गई है. इसके चलते मड क्रैब फैटनिंग का चलन देश में बढ़ गया है. अब हैचरी तकनीक से केकड़ों का उत्पादन किया जा रहा है. राजीव गांधी सेंटर फॉर एक्वाकल्चर किसानों को क्रैब के बीज मुहैया करवा रहा है.

मड क्रैब की खासियत

मड क्रैब्स बेहद ताकतवर माने जाते हैं और ये मछलियों, मोलस्क्स और बेंथिक जंतुओं का सेवन करते हैं. लॉबस्टर और झींगा की तरह यह भी अपनी शेल उतारते हैं जिसे मौल्टिंग प्रक्रिया कहा जाता है.

क्रैब की खेती के लिए साइट का चयन

मैंग्रोव या गैर मैंग्रोव एरिया में क्रैब्स पालन किया जा सकता है. इसके लिए तालाब या खुले पानी जगह चुन सकते हैं. लेकिन पानी में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन  होना चाहिए.

क्रैब पालन की प्रमुख विधियां

क्रैब फैटनिंगइंटरनेशनल बाजारों में बड़े आकार के क्रैब्स की मांग बढ़ी तो छोटे केकड़ों को तालाबो, सिंथेटिक सामग्री से बने बक्सों में इनका पालन किया जाने लगा. इसमें 200 ग्राम के क्रैब्स का एक महीने में 25 से 50 ग्राम वजन बढ़ जाता है जो 9-10 महीने तक बढ़ता रहता है.

क्रैब फार्मिंग– इस प्रक्रिया में खेतों पर कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाता है जिसमें क्रैब्स का पालन किया जाता है. पहले क्रैब्स सीड को छोटे कंटेनर या खुले पानी के बक्से में डाला जाता है. जिसके बाद इन्हें इन तालाबों में डाला जाता है.

तालाब में क्रैब्स का पालन

तालाब में 80 से 120 सेंटीमीटर की गहराई तक पानी होता है जिसमें 70 से 80 ग्राम के केकड़े डाले जाते हैं. जो 0.5 से 0.7 वर्ग मीटर की दर से ग्रोथ करते हैं. तालाब की मजबूत घेराबंदी जरूरी होती है ताकि केकड़े भाग न जाए. भोजन के रूप में केकड़ों को मछलियों के टुकड़े, मोलस्क्स दिया जाता है. 6 महीने में यह जब यह 700 से 1000 ग्राम के हो जाए तब इन्हें बाजार में बेच दिया जाता है.

पॉलिकल्चर

इनदिनों मछलियों के साथ केकड़ों का एकीकृत पालन करके आमदानी को बढ़ाया जा सकता है. मिल्क फिश, मुलेट्स या अन्य प्रजाति की मछलियों के साथ क्रैब्स का पालन किया जा सकता है.

उत्पादन

बता दें कि एस. सेराटा क्रैब तेजी से और अधिक बढ़ते हैं जो 1.5 से 2 किलोग्राम के हो जाते हैं. जबकि एस. ओलवेसिया 1.2 किलोग्राम वजनी होते हैं. विदेश तथा घरेलु बाजार में मड केकड़ों की अच्छी खासी मांग रहती है. क्रैब्स की क्वालिटी के अनुसार इंटरने शनल बाजार में केकड़ों की 8 से 25 अमरीकी डॉलर तक कीमत मिल जाती है.

खबर साभार : कृषि जागरण

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