गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के आगे इमरान सरकार ने टेके घुटने, जानिए वजह

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगित-बाल्टिस्तान अंतरिम प्रांत का दर्जा देने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन इसका जबरदस्त विरोध हुआ और भारत ने भी इस फैसले का विरोध किया था. भारत की ओर से कहा गया था कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान पर अवैध कब्जा कर रखा है और ऐसे में उसे अधिकार नहीं है कि वो उसे प्रांत का दर्जा दे. गिलगित-बाल्टिस्तान की आवाम आज भी इस कदम पर कड़ा विरोध दर्ज करा रही है. इस बीच खबर आई है कि अब इमरान सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के आगे इमरान सरकार ने घुटने टेक दिए हैं. तो आइए बताते हैं कि ऐसी क्या वजह है जिससे इमरान सरकार को झुकने को मजबूर होना पड़ा.

पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्‍तान के नेता बाबा जान को र‍िहा करने के लिए जोरदार विरोध प्रदर्शनों के आगे घुटने टेकते हुए पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने उन्‍हें रिहा कर दिया है. गिलगित के हुंजा में चीनी कंपनियों को मार्बल की खदान का अवैध आवंटन का विरोध करने वाले बाबा जान को 9 साल बाद रिहा किया गया है. बाबा जान लेबर पार्टी पाकिस्तान के नेता हैं.

चीनी कंपनियों को अवैध तरीके से खदान सौंपने का विरोध करने पर राजनीतिक कार्यकर्ता बाबा जान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. पिछले करीब 9 साल से बाबा जान को रिहा करने के लिए पीओके में जोरदार विरोध प्रदर्शन चल रहा था. बताया जा रहा है कि बाबा जान काफी समय से बीमार भी चल रहे थे. हालांकि आईएसआई और सेना की शह पर उन्‍हें रिहा नहीं किया जा रहा था. यही नहीं जेल के अंदर उन्‍हें टॉर्चर भी किया गया.

जानकारी के मुताबिक चीनी कंपनियों के विरोध के अलावा बाबा जान पर एक अन्‍य आरोप लगा था. वर्ष 2010 में जलवायु परिवर्तन की वजह से गिलगित-बाल्टिस्तान की हुंजा नदी के पास लैंडस्लाइड हुआ था. इस घटना की वजह से ऐटाबाद झील का निर्माण तो हुआ लेकिन हजारों गांववालों को अपने घरों से हाथ धोना पड़ा. लैंडस्लाइड इतना भयानक था कि गिलगित-बाल्टिस्तान को बाकी पाकिस्तान से जोड़नेवाले हाइवे को भी नुकसान पहुंचा था, जिसकी वजह से गांववालों को मदद मिलने में भी दिक्कत हो रही थी.

इस वक्त लोगों की मदद के लिए बाबा जान आगे आए और सरकार से बातचीत शुरू की. काफी प्रदर्शन और कोशिशों के बाद आखिरकार पाकिस्तान सरकार को झुकना पड़ा और उन्होंने लोगों की मदद का वादा किया. 2011 में बाबा जान की तरफ से कुल 457 परिवारों की लिस्ट दी गई थी, लेकिन किन्हीं वजहों से 25 परिवारों की मदद सरकार ने रोक ली. अब इस बात को लेकर प्रदर्शन शुरू हुआ.

लेकिन तब सरकार ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हिंसा का प्रयोग शुरू कर दिया और बाबा जान के साथ के कुछ लोग मारे पीटे भी गए. इसके बाद बाबा जान को गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें से 5 लोगों को रिहा नहीं किया गया था. इसमें बाबा जान भी शामिल थे. उसके बाद से खबरें आती रहती थीं कि जेल में बाबा जान और बाकी साथियों के साथ कठोर व्यवहार किया जाता है. उनको टॉर्चर किया जाता है. बाबा जान को पाकिस्तान के आतंक रोधी ऐक्ट के तहत पकड़े जाने का भी विरोध होता है. लोगों का कहना था कि सरकार इस ऐक्ट का गलत इस्तेमाल करके ऐक्टिविस्टों को भी पकड़ रही है.

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