ड्रैगन पर अमेरिका सख्त, चीन ने ताइवान को धमकाया तो बाइडेन ने भेज दिए युद्धपोत !

अमेरिका के व्हाइट हाउस से डोनाल्ड ट्रंप की विदाई हो चुकी है. जब तक ट्रंप सत्ता में रहे चीन की दादागिरी पर लगाम कसू रही. कयास लगाए जा रहे थे कि ट्रंप के जाने के बाद चीन की अमेरिका से नजदीकियां बढ़ जाएंगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब बाइडेन भी ट्रंप की तरह चीन पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. इसकी बानगी सामने आ चुकी है.

चीन ताइवान को निगलने की मंशा पाल बैठा है, इस बावत उसने ताइवान को धमकी भी दी है. लेकिन इस बीच अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में युद्धपोतों को तैनात करके उसे सीधी चुनौती दे दी है. अमेरिकी सेना ने कहा कि यूएसएस थीयोडोर रूजवेल्ट की अगुआई में विमानवाहक युद्धपोतों के समूह ने नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चत करने के लिए दक्षिण चीन सागर में प्रवेश किया है. चीन और ताइवान के बीच बढ़े तनाव ने वॉशिंगटन में चिंता बढ़ा दी है.

अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड ने एक बयान में कहा कि युद्धपोत शनिवार को साउथ चाइना सी में पहुंचे हैं. यह ठीक उसी दिन हुआ है जब ताइवान ने कहा कि बड़ी संख्या में चीन के बॉम्बर्स और फाइटर जेट्स ने इसके एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसपैठ की.

अमेरिकी सेना ने कहा है कि उनके युद्धपोत समूह साउथ चाइना सी में रूटीन ऑपरेशन के लिए हैं ताकि सागर में आजादी सुनिश्चित रहे. स्ट्राइक ग्रुप के कमांडर डौग वेरिसिमो ने कहा, ”30 साल के करियर में इन समुद्रों में नौवहन के बाद दोबारा साउथ चाइना सी में आकर अच्छा लगा. हम रूटीन ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं ताकि सागर की आजादी सुनिश्चत रहे और सहयोगियों और भागीदारों को आश्वस्त कर सकें.

अमेरिका ने ताइवान पर चीनी सेना के दबाव को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इस प्रकार की डराने-धमकाने की रणनीति क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा,” ताइवान सहित अपने पड़ोसियों को धमकाने के पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के प्रयासों को लेकर अमेरिका चिंतित है. एक बयान में उन्होंने बीजिंग से अनुरोध किया कि वह ताइवान पर अपने सैन्य, राजनयिक और आर्थिक दबाव को समाप्त करके लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए ताइवान के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक बातचीत करे.

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