दुर्गा की मूर्तियों के लिए तवायफ़ों के आंगन की मिट्टी क्यों ली जाती है?

नई दिल्ली। Navratri 2020: आज से पूरे देश में मां दुर्गा ( Maa Durga )के आगमन की तैयारी पूरे जोश के साथ की जा रही है। हर जगह उनकी स्थापना के लिए पंड़ाल तैयार किए जा रहे है। मां दुर्गा का नौ अवतार धरती पर अपना विराट रूप बिखरते नजर आने वाला है। 17 अक्टूबर 2020 से शुरू हुई नवरात्री (Navratri 2020) 25 अक्टूबर 2020 तक चलेगी। हर जगह पंडालों के अंदर बैठी मां दुर्गा की भव्य मूर्तियां बेहद खूबसूरत होने के साथ मन को मोह लेने वाली होती है। इनका आकर्षण रूप देख लोग इतने मोहित हो जाते है कि उस जगह से निकलना पसंद ही नही करते। लेकिन क्या आप जानते है कि इस सुंदर सी मूर्ति के बनाने में मूर्तिकार किन किन चीजों का उपयोग करते है यदि वो इन चीजों का उपयोग नही करेंगे तो मूर्ति इनके बिना अधूरी मानी जाती है। आज हम बता रहे है वो बहुत महत्वपूर्ण चीजें जिन्हें मिलाकर तैयार किया जाता है मां का मन मोह लेने वाला स्वरूप..

वेश्यालय की मिट्टी

सबसे पहले मूर्तिकार देवी की मूर्ति को बनाने के लिए वेश्यालयों के आंगन (soil from brothel)जाते है वहां से लाई गई मिट्टी को देवी दुर्गा की मूर्तियों को बनाने में उपयोग करते है। इस मिट्टी का होना महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि जब लोग वेश्यालय में जाते हैं, तो अपनी पवित्रता के साथ पूरी तपस्या को पीछे छोड़ आते हैं। इस वजह से वेश्यालयों की मिट्टी (soil from brothel)को पवित्रता का दृष्टि से देखा गया है।

गोमूत्र

इसके बाद उस मिट्टी में गाय के मूत्र को डाला जाता है। क्योकि हमारे हिंदू धर्म में गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है वह हमें दूध देती है, और एकमां की भातिं हमे पालती है। बिल्कुल वैसे ही जैसे कि एक मां करती है।

गाय का गोबर

गोमूत्र के बाद गाय का गोबर भी डाला जाता है। गाय के गोबर का उपयोग हम पूजा के दौरान भी करते है। कभी भी कोई भी धार्मिक अनुष्ठान गोबर के बिना नही किए जाते है। क्योंकि गोबर वातावरण के साथ उस जगह को भी शुद्ध करता है। इसलिए देवी की मूर्तियों को बनाते समय, मिट्टी के साथ गोबर और गोमूत्र का उपयोग करना जरूरी मानते है।

गंगा का कीचड़

हिंदू धर्म में गंगा नदी को पवित्र मां का स्वरूप माना गया है लोग इसके पानी के साथ साथ कीचड़ को काफी शुभ मानते हैं इसलिए देवी दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण गंगा नदी के किनारों से ली गई मिट्टी का उपयोग करके किया जाता है।

तिनके

मिट्टी और गाय के गोबर का उपयोग करने के बाद मूर्ति को कठोर और मजबूत देने के लिए भूसी का उपयोग जो आमतौर पर गेहूं और धान की फसलों से निकली हुई होती हैं।

बांस की डंडियां

मूर्तियों को मजबूती देने के बाद उसका आकार बनाने के लिए, कलाकार बांस की डंडियों का उपयोग करते हैं। बांस की पतली छड़ी का उपयोग सबसे पहले मूर्तियों को आकार देने के लिए किया जाता है फिर डमी प्रतिमा बनाने के लिए बांस के साथ पुआल बांधा जाता है और फिर उस पर कीचड़ लगाया जाता है।

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