‘नोटों में सिमटकर मरे सैकड़ों, तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं..’

देश की रक्षा करने वाले जवान जब शहीद होते हैं तो उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। उनकी कहानियां लोगों के लिए प्रेरणादायक बन जाती हैं। आज हम आपके लिए एक ऐसी ही कहानी लेकर आए हैं जो शहीद कपिल कुंडू की है। कैप्टन कपिल कुंडू हरियाणा के पटौदी के रहने वाले थे और 10 फरवरी 2018 को पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी में वो शहीद हो गए। उनके शौर्य का जितना बखान किया जाए, उतना कम है।

पाक फायरिंग में शहीद होने वाले 23 साल के कैप्टन कपिल कुंडू गुड़गांव जिले में पटौदी कस्बे के नजदीक स्थित रनसिका गांव के रहने वाले थे। वह सेना की 15 जैकलाई यूनिट के कैप्टन कपिल कुंडू इन दिनों जम्मू- कश्मीर के राजौरी जिले में तैनात थे। कपिल के मन में बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। उनकी पढ़ाई पटौदी जिले के डिवाइन डेल इंटरनेशनल स्कूल से हुई थी। साल 2012 में फर्स्ट अटैंप्ट में ही कपिल का एनडीए में सिलेक्शन हुआ था, जहां से वह इंडियन अर्मी के लिए चुने गए थे। कैप्टन कपिल के पिता का 6 साल पहले निधन हो चुका है, वहीं अब परिवार में विधवा मां सुनीता के अलावा बड़ी दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है।

इसके बाद तीन दिन पहले ही उन्होंने आखिरी बार अपनी मां से फोन पर बात की थी। कपिल को एंडवेंचर लाइफ बहुत पसंद थी। उन्हें कविताएं लिखने का बड़ा शौक था। वह अपनी बहनों को अपनी दिल की बातें कविताओं के जरिए बयां किया करते थे। कपिल हर बार परिजनों को सरप्राइज देने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।

कपिल ने एक वीडियो भी अपनी बहन को भेजा था, जो अब उनका आखिरी वीडियो बन गया। अब वह इसे सीने से लगा-लगाकर बिलखती रही। वहीं आंखों में आंसू लिए मां कहतीं कि अगर मेरा बेटा जिंदा होता तो देश के लिए और भी बहुत कुछ करता। मुझे इंतजार था कि मेरा बेटा आएगा, लेकिन अब वो कभी नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि शहीद हुए सभी जवान मेरे बेटे हैं, मुझे मेरे लाल पर गर्व है।

हमेशा कहते थे कपिल : ‘जमानेभर में मिलते हैं आशिक कई, मगर वतन से खुबसूरत कोई सनम नहीं होता, नोटों में सिमटकर मरे हैं सैकड़ों लोग, मगर तिरंगे से खुबसूरत कोई कफन नहीं होता।’

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