पांडव लीला: पशुबलि प्रथा समाप्त

भास्कर समाचार सेवा
रुद्रप्रयाग। भरदार क्षेत्र के जवाड़ी गांव में चल रहे पांडव नृत्य का फल वितरण के साथ समापन हो गया। पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य करने के बाद भगवान नारायण द्वारा फेंके गए फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। अंतिम दिन दूर-दराज क्षेत्रों के साथ बड़ी संख्या में यहां भक्तजन पहुंचे हुए थे।
ग्राम पंचायत जवाड़ी में पांडव नृत्य के समापन समापन अवसर पर पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की गई। ढोल दमाऊ की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी खूब नृत्य किया। बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया। अंत में भगवान नारायण के पश्वा समेत सभी पांडवों ने भक्तों के बीच फल फेंके, जिसे भक्तों ने उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ता है, उसे मनवांछित फल की फल प्राप्ति होती है। इससे पूर्व रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला, जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा। गेंडा मरने के बाद पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया गया। इस दौरान पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया। इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ यहां का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
इस मौके पर पांडव लीला समिति के अध्यक्ष प्रकाश सिंह कप्रवान, पूर्व प्रधान गजपाल सिंह कप्रवान, प्रधान पार्वती नौटियाल, अवतार सिंह कप्रवान, रणवीर सिंह कप्रवान, सुरेंद्र सिंह कप्रवान, उत्तम सिंह कप्रवान, रविंद्र सिंह कप्रवान, ऋतिक बुटोला, उम्मेद सिंह, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष किशोरी नंदन डोभाल, शंभू प्रसाद नौटियाल, कल्पेश्वर नौटियाल, बच्चीराम नौटियाल, राकेश कप्रवान, मुकेश कप्रवान, विनोद नौटियाल, नवीन नौटियाल, दिनेश पंवार समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

 

  • पहली बार किसी पशु की बलि नहीं दी

परंपरानुसार पांडव लीला के समापन अवसर पर पशु बलि दी जाती थी। पहली बार यहां पर पांडव लीला के समापन अवसर पर किसी भी पशु की बलि नहीं दी गई। पांडव लीला समिति के पदाधिकारियों ने आम सहमति से निर्णय लिया कि धार्मिक आयोजनों में किसी तरह की पशुओं की बलि नहीं दी जाएगी। समिति के अध्यक्ष प्रकाश कप्रवान ने कहा कि जवाड़ी में पशु बलि की परंपरा अब खत्म हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता मोहित डिमरी ने पशु बलि पर रोक लगने पर खुशी जताते हुए कहा कि जवाड़ी के ग्रामीणों ने मिसाल कायम की है। उनसे अन्य गांवों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। किसी भी धार्मिक आयोजन में निरीह जानवरों की बलि लेने की परंपरा खत्म होनी चाहिए।

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