मानवाधिकारों से पहले मानवीय मूल्यों का संरक्षण जरुरी: आसिफ़ ज़मा रिज़वी

नई दिल्ली : 10 दिसंबर सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के तत्वाधान में विश्व मानव अधिकार दिवस के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कई अहम शख्सियत शामिल हुए जिन्होंने मानव अधिकार, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के बारे में अपने विचार रखे। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य आसिफ़ ज़मा रिज़वी ने कहा कि आज के वक्त में मानव अधिकारों से ज्यादा मानवीय मूल्यों पर बात किए जाने की जरुरत है।

मानव अधिकार और मानव मूल्य एक दूसरे के पूरक हैं और अगर हम मानवीय मूल्यों को मजबूत करें तो मानव अधिकारों का हनन नहीं होगा और जब अधिकारों का हनन नहीं होगा तो मानव अधिकारों के संरक्षण की जरुरत भी खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी। उन्होंने विश्व बंधुत्व का उदाहरण देते हुए कहा कि हर धर्म की बुनियाद मानवीय मूल्यों पर आधारित है। हर धर्म इंसानियत का पैगाम देता है। हर मज़हब में इंसान के हक को अहमियत दी गई है। हमारे धर्म हमें समानता की शिक्षा देते हैं और मानवाधिकार में समानता की ही बात की जाती है। यदि हम अपने धर्मों के जरिए ही अपने मानवीय मूल्यों को मजबूत करें तो मानवाधिकारों का संरक्षण अपने आप शुरु हो जाएगा ।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के नेता आसिफ़ ज़मा रिज़वी ने कहा, “ हम जिस धर्म को मानते हैं, हमारे पैग़म्बर मोहम्मद मुस्तफा (सल्लाहोअलैहे वसल्लम) साहब ने कहा था कि हमारे पड़ोसी का भी हम पर हक है। अगर हमारा पड़ोसी किसी तकलीफ में है तो हमारा धर्म हमें कहता है कि हम उसकी मदद करें। पैगंबर साहब (सल्लाहोअलैहे वसल्लम) ने हर स्थिति में अपने पड़ोसी की मदद की बात कही थी। उन्होंने (सल्लाहोअलैहे वसल्लम) कहीं भी धर्म या जाति का जिक्र तक नहीं किया था।‘’ उन्होंने आगे कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मानव अधिकारों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले कई घटनाएं भी इस दौरान सामने आईं जिसने तमाम देशों को मानव अधिकार जैसे गंभीर विषय पर सोचने पर मजबूर कर दिया। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए मानव अधिकार आयोग का गठन किया जिसके बाद से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। आज हम मानवाधिकारों के संरक्षण की बात तो करते है लेकिन अधिकारों का हनन किन कारणों से हो रहा है उस पर बात नहीं करते। मौजूदा वक्त में जरुरी है कि समस्या से ज्यादा समाधान की चर्चा की जाए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के अध्यक्ष हेमंत कुमार ने की। मोहम्मद शाहिद अली (राष्ट्रीय महासचिव सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स), आरिफ़ अखलाक़, डॉ. इकबाल गौरी, डॉ कफील खान, विजय विद्रोही समेत कई हस्तियां इस कार्यक्रम में मौजूद रहीं।

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