मानवाधिकार ने विभागों से मांगी रिपोर्ट

ऋषिकेश। टिहरी बांध परियोजना के विस्थापित परिवारों की मौलिक समस्याओं के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने सचिव राजस्व, सिंचाई, पेयजल तथा सचिव ऊर्जा को स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य आंदोलनकारी एवं टिहरी बांध प्रभावित पुनर्वासन संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश डोभाल ने बताया कि उनके द्वारा 4 वर्ष पूर्व टिहरी बांध विस्थापितों को मौलिक सुविधा दिये जाने को लेकर 8 बिदुओं का एक शिकायती पत्र मानव अधिकार आयोग में प्रस्तुत किया गया था। जिसमें पुनर्वास स्थल पशुलोक को राजस्व ग्राम का दर्जा तथा आवंटियों को भूमिधरी अधिकार दिए जाने, पुनर्वास स्थलों पर सामुदायिक सुविधाओं संबंधी अवशेष कार्यों को पूर्ण करने सहित निशुल्क पेयजल एवं रियायती दर की विद्युत सुविधा उपलब्ध कराए जाने संबंधी समस्याओं का निदान कराए जाने के लिए परिवाद संख्या 883/2015 योजित की गई, जिसकी सुनवाई कर आयोग ने कार्रवायी करते हुए सचिव राजस्व, सिंचाई, पेयजल तथा सचिव ऊर्जा को स्टेटस रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि 20 जुलाई नियत की गई है। समिति से जुड़े विजय सिंह बिष्ट तथा प्रताप सिंह राणा ने बताया कि टिहरी के दर्जनों टिहरी बांध परियोजना से विस्थापित ग्रामों के सैकड़ों परिवार को विगत 20 वर्ष पूर्व देहरादून के ऋषिकेश स्थित पशुलोक में विस्थापित किया गया था। सरकार ने विस्थापित तो कर दिया लेकिन मूलभूत सुविधाएं आज तक मुहैया नहीं कराई गई। विस्थापित परिवारों को आवंटित भूमि पर ना तो भूमिधरी अधिकार ही मिल पाया और न ही उस क्षेत्र को राजस्व ग्रामों का दर्जा। जिससे पुनर्वासी परिवारों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है साथ ही जिला योजना सहित राज्य व केंद्र सरकार की विकास योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। उन्होंने आयोग को बताया कि पुनर्वास स्थलों पर सामुदायिक सुविधाओं संबंधी भी अनेक कार्य अवशेष हैं तथा पुनर्वास स्थलों पर हनुमंतराव कमेटी की संस्तुति के बावजूद निशुल्क पेयजल एवं रियायती दर पर विद्युत की सुविधा भी नहीं मिल रही है। साथ ही बांध झील के समीपवर्ती भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के बारे में विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई संस्तुतियों एवं सुझाव पर अपेक्षित कार्रवाई न होने से टिहरी बांध झील से प्रभावित अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं। डोभाल का कहना है कि लंबे इंतजार के बाद आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए संबंधित विभागों के सचिवों को वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा है था जुलाई माह की 20 तारीख को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की है।

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