मोदी सरकार की इस योजना से Apple हुआ प्रभावित, अब ड्रैगन होगा टेक रेस से बाहर !

 

देश के अंदर PLI यानी Production Linked Incentive योजना का असर अब दिखाई देने लगा है। रिपोर्ट के अनुसार अब Apple अपने आई पैड का प्रोडक्शन भारत में शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और देश में रोजगार पैदा करने के प्रयासों के कारण, प्रौद्योगिकी की कई बड़ी कंपनियां अपने प्रोडक्शन को भारत में स्थानांतरित करना चाहती है।

Apple लंबे समय से मौके की तलाश में था और एक नई रिपोर्ट के अनुसार यह दिग्गज कंपनी भारत में अपने प्रोडक्शन बढ़ा सकती है। इस बदलाव के साथ, Apple एक नई प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI ) योजना का लाभ लेना की फ़िराक़ में है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह योजना भारत में टैबलेट, लैपटॉप और सर्वर के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश करेगी।

नई PLI योजना के तहत, सरकार निर्यात के लिए मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कैश-बैक की पेशकश करेगी। यह योजना फरवरी के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद है, इस योजना के तहत पांच वर्षों में 7,000 करोड़ रुपये तक का बजट होगा। चीन के अन्य देशों में अपने उत्पादन को स्थानांतरित करने की Apple की लंबे समय से मांग के साथ, कंपनी अब भारत में अपने उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है।

भारत सरकार की आगामी योजना का लाभ उठाते हुए, Apple अब भारत में अपने लैपटॉप और आईपैड बनाने की योजना में है। हालांकि, इस योजना के तहत Apple एक बड़े बजट यानी लगभग 20,000 करोड़ रुपये की राशि के लिए लॉबी कर रहा है।

Apple यह कोशिश ऐसे समय में कर रहा है जब उसके आईफ़ोन आपूर्तिकर्ता Wistron एक दक्षिणी भारतीय संयंत्र में परिचालन को फिर से शुरू कर रहे हैं, क्योंकि पिछले साल नाराज श्रमिकों के उग्र होने के बाद तोड़ फोड़ कर दी थी।

आईपैड के लिए Apple की वर्तमान असेंबली लाइन अधिकांश चीन में ही हैं। हालाँकि, यह टेक कंपनी भारत और वियतनाम जैसे बाजारों के लिए उत्पादन शुरू कर तेजी से विविधता ला रही है। मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में बदलाव से अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और इसकी व्यापारिक योजनाओं पर जारी कोरोना महामारी का प्रभाव भी कम होगा।

बता दें कि मोदी सरकार की ‘प्रोडक्शन लिंक इनिशिएटिव (PLI) योजना के तहत दुनिया के प्रमुख मोबाइल निर्माता भारत का रुख कर रहे हैं। अप्रैल में शुरू हुई यह योजना भारत के स्मार्टफ़ोन सेक्टर को बढ़ावा तो दे ही रही है, महत्वपूर्ण ये भी है की इस योजना से जुड़ने वाले उत्पादकों में से कोई भी चीन से जुड़ा नहीं है।

इसमें दक्षिण कोरिया की सैमसंग कंपनी  के साथ Apple की सहयोगी, जिसमे ताइवान की कंपनी  Foxconn, Wistorn और Pegatron भी शामिल हैं, जिन्होंने इस 6.65 बिलियन डॉलर की स्कीम में निवेश करने का फैसला लिया है। कुल 22 कंपनियों ने इस योजना के तहत आवेदन किया है जो भारत में 15 हजार और उससे ऊपर के दाम वाले मोबाइल सेगमेंट में कार्य करेंगी। वहीं भारतीय कंपनियों की बात करें तो इसमें LAVA, DIXON, BHAGWATI (MICROMAX) आदि नाम शामिल हैं। भारत सरकार की इस योजना से अनुमान लगाया जा रहा है की भारत भी जल्द ही चीन की तरह ‘मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब’ बन सकता है।

इससे न सिर्फ 11000 करोड़ रुपये का अहम निवेश भारतीय कंपनियों में होगा बल्कि 3 लाख से अधिक लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार भी प्राप्त होगा।

अब सोचिए, जब यह स्कीम लैपटॉप के क्षेत्र में भी लॉन्च होगी, तो कितना रोजगार उत्पन्न होगा। ये स्कीम विदेशी कंपनियों के लिए कई मायनों में लाभकारी होगी, क्योंकि चीन के मुकाबले भारत में उत्पादन की लागत काफी कम होगी।

भारत में Apple के उत्पादन में वृद्धि से भारत को आईटी उद्योग स्थापित करने और वैश्विक मानकों पर स्थानीय नौकरियां उत्पन्न करने में मदद मिलेगी।

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