यह मदरसा देता हैं देश को एकता का संदेश, देखने को मिलता हैं उर्दू और संस्कृत का संगम

वर्तमान समय में सामने आ रहे कई मुद्दे हिन्दू-मुस्लिम एकता के दुश्मन बनते नजर आ रहे हैं जिन्हें देश की जनता का मिल झुलकर सामना करने की जरूरत होती हैं। हिन्दू-मुस्लिम एकता हमारे देश की मजबूती हैं और ऐसा ही कुछ विहंगम नजारा देखने को मिलता हैं गोंडा जिले का वजीरगंज में स्थित मदरसे में। यहां हिंदू बच्चे ‘उर्दू तराने’ गुनगुनाते हैं तो मुस्लिम बच्चे ‘संस्कृत श्लोक’। तो आइये जानते हैं इसके बारे में और लेते हैं कुछ सीख।

संस्कृत और उर्दू की तालीम हासिल करने को लेकर सरकार व संस्थाएं लोगों को जागरूक करने में लगी हैं। लेकिन वजीरगंज का यह मदरसा अपने अभिनव प्रयोग को लेकर चर्चा में है। यहां हिंदू छात्रों की संख्या भी काफी अच्छी है। विकास खंड के रसूलपुर में स्थित मदरसा गुलशन-ए-बगदाद मुस्लिम छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देकर जहां धार्मिक कट्टरता से परे अपनी अलग पहचान बना रहा है।

यहां तकरीबन 230 की संख्या में पढ़ाई करने वाले नौनिहालों में 30 से अधिक हिंदू बच्चे उर्दू की तालीम ले रहे हैं तो 50 से अधिक मुस्लिम बच्चे भी संस्कृत के श्लोकों से अपना कंठ पवित्र करने में जुटे हैं। इतना ही नहीं, यहां हिंदू-मुस्लिम बच्चे उर्दू-संस्कृत के अलावा फारसी, हिंदी, अंग्रेजी, गणित व विज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा भी ले रहे हैं।

मदरसे का नाम सुनते ही आमजन के मानस पटल पर उर्दू-अरबी की पढ़ाई व मजहब-ए-इस्लाम की तालीम से जुड़े विद्यालय की छवि आती है। बावजूद इसके, यहां के तमाम बुद्धिजीवी मुसलमानों का मानना है कि कौम (मुस्लिम संप्रदाय) की तरक्की और खुशहाली के लिए ‘दीन’ के साथ ही दुनियावी तालीम जरूरी है।

मदरसे के प्रधानाचार्य करी अब्दुल रशीद ने आईएएनएस को बताया, “हम बिना किसी भेदभाव के सभी बच्चों को अच्छी तालीम देने की कोशिश में हैं। मुस्लिम बच्चों के लिए संस्कृत-हिंदी के साथ दीनी तालीम जरूरी है। गैर-मुस्लिम बच्चों के लिए यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है। कई संस्कृत-उर्दू दोनों पढ़ने के शौकीन हैं, उनको इसकी तालीम दी जाती है।”

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