यूरोप के तीन देशों द्वारा 5जी नेटवर्क में चीन के उपकरणों पर पाबंदी के बाद, सबकी नज़र भारत पर

इस वक़्त यूरोप के 5जी नेटवर्क में चीन की घुसपैठ के ख़िलाफ़ गोलबंदी हो रही है. चीन की तकनीक को ख़ारिज, अलग-थलग किया जा रहा है और इसकी वजह शी जिनपिंग और उनकी चीन कम्युनिस्ट पार्टी की आक्रामक कार्रवाई है. यूरोपियन यूनियन के दो सदस्य देश बुल्गारिया और स्लोवाक रिपब्लिक के अलावा यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की कोशिश कर रहे दो देश कोसोवो और नॉर्थ मैसिडोनिया अमेरिका की अगुवाई वाली क्लीन नेटवर्क पहल में शामिल हो गए हैं, ताकि वो अपने देश में 5जी नेटवर्क शुरू करने में चीन की कंपनियों पर पाबंदी लगा सकें.

मज़बूत 5जी इकोसिस्टम को सुनिश्चित करने के लिए नेटवर्क हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सप्लायर को चार शर्तें पूरी करनी होंगी- स्वतंत्र न्यायिक समीक्षा, पारदर्शी मालिकाना हक़, बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए सम्मान और कंपनी का पारदर्शी कारोबार.

अमेरिका और स्लोवाक रिपब्लिक के बीच 23 अक्टूबर 2020 के साझा घोषणापत्र में ये साफ़ किया गया है कि मज़बूत 5जी इकोसिस्टम को सुनिश्चित करने के लिए नेटवर्क हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सप्लायर को चार शर्तें पूरी करनी होंगी- स्वतंत्र न्यायिक समीक्षा, पारदर्शी मालिकाना हक़, बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए सम्मान और कंपनी का पारदर्शी कारोबार. इनमें से कोई भी शर्त चीन की कंपनियां पूरा नहीं करती हैं.

नॉर्थ मैसिडोनिया के प्रधानमंत्री ज़ोरान ज़ैव ने कहा, बिना चीन की मौजूदगी की कार्य योजना “समृद्धि, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए बेहद ज़रूरी है.” ये इस देश के लिए भी महत्वपूर्ण है जो “राष्ट्रीय नीतियों को एक समान” करने के लिए यूरोपियन यूनियन की सदस्यता चाहता है ताकि संचार नेटवर्क का विकास हो सके.

यूरोपियन अर्थव्यवस्था के लिए 5जी का महत्व

वास्तव में यूरोपियन यूनियन और यूरोप चार बड़ी मान्यताओं के झुकाव के इर्द-गिर्द एक हो रहे हैं. इनमें पहली मान्यता है 3 मई 2019 का प्राग प्रस्ताव जो सभी हिस्सेदारों के लिए इस बात पर ज़ोर देता है कि राष्ट्रीय तौर पर महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के नेटवर्क, सिस्टम और उससे जुड़े उपकरणों की सुरक्षा को बढ़ावा दें. दूसरी मान्यता है 3 दिसंबर 2019 का यूरोपियन यूनियन काउंसिल का वो निष्कर्ष जिसमें यूरोपियन अर्थव्यवस्था के लिए 5जी के महत्व और 5जी से जुड़े सुरक्षा जोख़िमों को कम करने की ज़रूरत बताई गई है.

यूरोपियन आयोग यूरोपियन यूनियन में महत्वपूर्ण तकनीकों और नेटवर्क की साइबर सुरक्षा को लेकर समन्वित दृष्टिकोण चाहता है और तकनीकी संप्रभुता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें ज़रूरी मानता है. 

इसके तहत यूरोपियन यूनियन 5जी उपकरण सिर्फ़ “भरोसेमंद पक्षों” से ही हासिल करेगी. तीसरी मान्यता है 4 दिसंबर 2019 का लंदन घोषणापत्र जो नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन (NATO) के सदस्यों को अपना-अपना 5जी नेटवर्क सुरक्षित रखने को कहता है और चीन की तरफ़ से मिली चुनौती को मान्यता देता है. चौथी मान्यता है जनवरी 2020 में यूरोपियन यूनियन में सुरक्षित 5जी नेटवर्क की तैनाती का प्रस्ताव जिसके तहत यूरोपियन आयोग यूरोपियन यूनियन में महत्वपूर्ण तकनीकों और नेटवर्क की साइबर सुरक्षा को लेकर समन्वित दृष्टिकोण चाहता है और तकनीकी संप्रभुता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें ज़रूरी मानता है.

पहले से ही जी7 में शामिल यूरोप के दो देशों- इटली और यूके ने अपने यहां 5जी नेटवर्क से चीन की कंपनी हुवावे पर पाबंदी लगा रखी है. इन देशों के अलावा हाल में चेक रिपब्लिक और स्वीडन ने चीन की तकनीक के आगे रोड़ा खड़ा कर दिया है. पोलैंड, एस्टोनिया, रोमानिया, डेनमार्क, लातविया और ग्रीस समेत यूरोपियन यूनियन के 13 देश 5जी को लेकर चीन से अलग हो गए हैं. कुछ संकोचों के बावजूद जर्मनी और फ्रांस के साथ नीदरलैंड्स, स्विट्ज़रलैंड, स्पेन और पुर्तगाल भी जल्द ही अलग होंगे. यूरोप के फ़ैसले के बाद सभी सामरिक-सुरक्षा निगाहें एशिया की तरफ़ होंगी.

खबर साभार : orfonline.org

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