लद्दाख की ठंड से चीनी सेना के उड़े होश, पम्प से ऑक्सीजन देकर बचा रहे हैं जान

  • चीनी सेना में हड़कंप मचा, तीन अरब के स्पेशल टेंट्स खरीदने का सौदा
  • अगले हफ्ते से होगी बर्फबारी, तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे पहुंचेगा
  • चीनी सैनिकों को साथी ही पम्प से ऑक्सीजन देकर बचा रहे हैं जान


नई दिल्ली,। इस समय शून्य से 9 डिग्री नीचे तापमान जाने पर एलएसी के करीब पैंगोंग झील के किनारे जमने की शुरुआत हो चुकी है लेकिन इस माह के अंत तक पूरी झील बर्फ में तब्दील हो जाएगी। इसीलिए झील के दोनों किनारों का तापमान जानलेवा होता जा रहा है। पिछले 15 दिनों में दोनों किनारों पर 50 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे जाने और दर्जनों के अस्पताल पहुंचने से चीनी सेना में हड़कंप मचा है। अगले हफ्ते तक यहां बर्फबारी शुरू होने पर यहां का तापमान शून्य से 40 डिग्री तक नीचे चला जाएगा और तब यहां सैनिकों को सुरक्षित रख पाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसलिए अब चीन ने लगभग तीन अरब रुपये की कीमत के स्पेशल टेंट्स खरीदने का सौदा एक चीनी कंपनी से किया है।

अभी तो झील के सिर्फ किनारे जमने पर तापमान शून्य से 9-10 डिग्री नीचे पहुंचा है, नवम्बर में बर्फबारी होने पर पैन्गोंग के पूरी तरह जमने और पारा माइनस 40 तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। यही वजह है कि पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे की फिंगर-4 और फिंगर-5 पर मई से कब्जा जमाये बैठे चीनी सैनिक सबसे ज्यादा हताहत हो रहे हैं। सेना के सूत्र बताते हैं कि सिर्फ फिंगर एरिया में ही अब तक 20 से ज्यादा पीएलए के सैनिक ठंड की मार से अपने जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा दर्जनों सैनिक फिंगर-8 के पास बनाये गए चीनी सेना के अस्पताल में भर्ती हैं। भर्ती मरीजों को भारी-भरकम कपड़े पहनने की वजह से शरीर में तो कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन इनके चेहरे और हाथ सबसे ज्यादा ठंड से प्रभावित हुए हैं। अब पीएलए ने ट्रेनिंग कर रहे नए रंगरूटों को तीन-तीन माह की ट्रेनिंग के नाम पर यहां तैनात करने का सिलसिला शुरू किया है।

यही हाल दक्षिणी छोर की ब्लैक टॉप चोटी पर बैठे चीनी सैनिकों का है। करीब 5,681 मीटर की ऊंचाई पर बैठे इन सैनिकों के पास ठंड से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। पीएलए सैनिकों को बगैर किसी सुविधा के ऊंचाई पर तैनात करने का विरोध करते हुए चीनी मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो चीनी सेना के दावों की पोल खोल रहे हैं। 29/30 अगस्त के बाद भारतीय सेना ने इसी दक्षिणी छोर के लगभग 60-70 किमी. क्षेत्र में ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ चलाकर रणनीतिक ऊंचाइयों वाली चोटियों को अपने नियंत्रण में लेकर सेना की तैनाती की थी। उस समय पीएलए के सैनिक भी अपने क्षेत्र में स्थित ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप चोटी पर कब्जा करके तैनात हुए थे। भारतीय सैनिक यहां से महज डेढ़ किमी. की दूरी पर हैं।

ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर तैनात चीनी सैनिकों के पास ठंड से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। पहाड़ी पर फैले पत्थरों को इकट्ठा करके एक गुफा जैसी बनाकर रह रहे हैं, जिससे टकराकर बर्फीली हवाएं उन्हें बीमार कर रही हैं। 5,681 मीटर की ऊंचाई पर इनके लिए खाने-पीने का सामान भी टट्टुओं से पहुंचाया जा रहा है। ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे सैनिकों को उनके साथी ही पम्प से ऑक्सीजन देकर जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर अब तक 30 से अधिक चीनी सैनिकों की जान जा चुकी है। इस तरह देखा जाए तो पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों की पहाड़ियों पर बर्फीली ठंड ने 50 से अधिक सैनिकों की जान ली है और दर्जनों हताहत होकर अस्पताल में भर्ती हैं। अभी तो ठंड की शुरुआत में ही यह हाल होने से चीनी सेना में हड़कंप मचा है।

इसीलिए अब चीन ने स्पेशल टेंट्स खरीदने का सौदा एक चीनी कंपनी से किया है। खुफिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि चीनी सेना गुआंगजाओ प्लेटो की प्लास्टिक कंपनी से 2 अरब 94 करोड़ रुपये में स्पेशल टेंट्स खरीदे हैं। दावा है कि ये टेंट सुपर हाई ऑल्टिटयूड यानी 15 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर भी सैनिकों के लिए उपयुक्त हैं। इन टेंट्स को खासतौर पर सूखे और कम ऑक्सीज़न वाले इलाकों में तैनात सैनिकों को दिए जाने की योजना है। कंपनी के मुताबिक इन टेंट्स के अंदर गर्म रखने और हवा के प्रवाह के लिए इंतजाम हैं। इससे एक बात और साफ होती है कि भारत से चल रही सैन्य वार्ता के बावजूद चीनी सेना पीछे हटने के मूड में नहीं है। अगले हफ्ते तक यहां बर्फबारी शुरू होने पर यहां का तापमान शून्य से 40 डिग्री तक नीचे चला जाएगा और तब यहां सैनिकों को सुरक्षित रख पाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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