लव जिहाद पर केन्द्रीय मंत्री शेखावत और मुख्यमंत्री गहलोत आमने-सामने

जयपुर, । राजस्थान के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश ने लव जिहाद पर कानून लाने की तैयारी पूरी कर ली है। वहीं उत्तर प्रदेश और हरियाणा भी लव जिहाद पर कानून बनाने की तैयारी में हैं। ऐसे में तीनों राज्यों से जुड़े राजस्थान में भी ऐसे किसी कानून पर चर्चा शुरू हो, इससे पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट कर ऐसी किसी कानून लाने की बात तो दूर, इसकी अटकलों पर भी विराम लगा दिया है। उधर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने गहलोत के ट्वीट पर जमकर पलटवार किया है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लव जिहाद शब्द को भाजपा की कल्पना बताते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। गहलोत ने लिखा, “लव जिहाद’ शब्द भाजपा की ओर से गढ़ा गया है ताकि साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़कर देश को बांटा जा सके। शादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी न्यायालय में नहीं टिक पाएगा। प्रेम में जिहाद की कोई जगह नहीं है।”

भाजपा पर आरोप लगाते हुए गहलोत ने आगे लिखा, “वे (भाजपा) देश में ऐसा वातावरण निर्मित कर रहे हैं, जहां सहमति रखने वाले व्यस्क सरकार की दया पर होंगे। विवाह एक व्यक्तिगत निर्णय है और ये लोग उस पर अंकुश लगा रहे हैं, यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने जैसा है।” गहलोत ने अंतिम ट्वीट में लिखा है, “यह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, सामाजिक तनाव को बढ़ावा देने और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने की चाल जैसी प्रतीत होती है। राज्य किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है।”

जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट्स में कहा है, शादी अगर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है तो फिर महिलाएं अपने मायके का नाम या धर्म रखने के लिए स्वतंत्र क्यों नहीं हैं? क्यों लड़कियों के परिवारों को भी दूसरे धर्म को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जाता है? क्या धर्म व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात नहीं है?

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, अशोक जी, चूंकि कांग्रेस व्यक्तिगत स्वतंत्रता की आड़ में इस कृत्य का समर्थन कर रही है तो क्या यह आपका नया सांप्रदायिक एजेंडा है? सत्ता लालच में हिंदू आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ना, घृणा फैलाना इत्यादि सब कांग्रेस प्रधान कृत है। गहलोत के लव जिहाद को लेकर दिए बयान पर सवाल उठाए हैं।

शेखावत ने ट्वीट किया, प्रिय अशोक गहलोत जी, क्या हज़ारों युवतियों के साथ प्रेम और विवाह के नाम पर, नाम और धर्म बदलकर हो रहे धोखे को लव जिहाद नहीं कहेंगे? शेखावत ने कहा, भाजपा सबका साथ, सबका विकास में विश्वास रखती है, इसलिए हमारी महिलाएं लव जिहाद नाम के धोखे और अन्याय के अधीन नहीं होंगी।


उधर भाजपा प्रदेश डॉ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा- “मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी का लव जिहाद पर आज का बयान उनकी वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। कांग्रेस की देशभर में हो रही दुर्दशा से वह इतना विचलित हो जाएंगे, यह विश्वास नहीं होता। हम सभी जानते हैं कि सनातन भारत की परंपरा में विवाह एक धार्मिक और सामाजिक मान्यता प्राप्त संस्कार है, यह केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है। मुझे लगता है कि जिस तरह से उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है, यह बेबुनियाद है, जिस तरीके से इस्लामिक आतंकवाद के एजेंडे लव जिहाद का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियां उत्पीड़न का शिकार होती हैं, यह जगजाहिर है।”


उल्लेखनीय है कि राजस्थान में पिछले कुछ वर्षो में लव जिहाद के कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। एक मामले में तो उच्च न्यायालय ने भी सरकार से मतांतरण के नियम स्पष्ट करने के लिए कहा है, लेकिन राजस्थान में इसके भी नियम स्पष्ट नहीं हैं। जबरन मतांतरण के विरूद्ध लाया गया धर्म स्वातंत्रय विधेयक भी पिछले दस वर्ष से ज्यादा समय से केन्द्र व राज्य के बीच ही अटका हुआ है। यह कानून लागू हो जाए तो लव जिहाद के लिए अलग विधान की आवश्कता नहीं होगी। लव जिहाद के मामले में राजस्थान के हालात मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या हरियाणा जैसे ही हैं, बल्कि कई जिलों में तो स्थिति खराब ही होगी। वहीं एक आशंका यह भी है कि यदि तीन पड़ोसी राज्यों में कानून बनेंगे तो ऐसे मामले राजस्थान में बढ़ सकते हैं।


दस वर्ष से भी ज्यादा समय से अटका हुआ है धर्म स्वातंत्रय विधेयक:
राजस्थान में भाजपा अपने पहले कार्यकाल में धर्म स्वातंत्रय विधेयक लेकर आई थी और इसे पारित भी कर दिया था। इस कानून में जबरन मतांतरण पर रोक के खिलाफ कानूनी प्रावधान थे, लेकिन तब से अब तक यह कानून लागू नहीं हो पाया है, क्योंकि इस पर केन्द्र सरकार की स्वीकृति की आवश्यकता है। प्रदेश में चूंकि सरकार बार-बार बदल रही है इसलिए इस कानून पर कुछ हो ही नहीं पा रहा है। भाजपा सत्ता में होती है तो इस पर काम आगे बढ़ता है और जैसे ही कांग्रेस सत्ता में आती है, कार्रवाई ठप हो जाती है। भाजपा ने अपने पिछले कार्यकाल में 2017-18 में केन्द्र से इस कानून के बारे में राज्य सरकार की मंशा पूछे जाने पर इसे लागू करने की इच्छा प्रकट की थी, लेकिन इसके बाद यहां फिर सत्ता परिवर्तन हो गया और अब तक इस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

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