विडियो : चीन के खिलाफ सडकों पर उतरे नेपाली छात्र, लगाए मुरादाबाद और चीन-गो-बैक के नारे

चीन की विस्तारवादी नीति पर भारत के आक्रामक प्रहार ने चीन की बोलती बंद कर राखी है. अब चीन भारत की तरफ सीधे तौर पर नज़ारे उठा नहीं सकता. लेकिन चीन अपनी आदत से मजबूर है. इसलिए चीन अब नेपाल के जरिये भारत में घुस्सपैथ करने की फिराक में बैठा है. चीन की मतलबी दोस्ती के तले दबे नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली चीन के बढ़ते कदमों पर चुप्पी साधे हुए है. लेकिन चीन इसका फ़ायदा उठाते हुए धीरे-धीरे नेपाल की ज़मीन को हथियाने के प्रयास कर रहा है. लेकिन चीन की इस चाल को नेपाल की आम जनता भली भाति समझ गयी है. इसी बीच नेपाल से एक खबर आई है. बता दें नेपाल के काठमांडू में स्वतंत्र युवा समूह के छात्रों ने चीन के बढ़ते आक्रामक और विस्तारवादी नीति को देखते हुए चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस आंदोलन में उन्होंने चीन पर सीमा उल्लंघन और नेपाली भूमि पर अवैध कब्जे सहित कई आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया. इस आंदोलन में उन्होंने चीन के खिलाफ ही प्रदर्शन में ‘गो बैक चाइना’ का नारा लगाया.

मौके पर पहुंची नेपाल पुलिस ने प्रदर्शन करने वाले छात्रों को हटाया. बता दें शनिवार 21 नवंबर की दोपहर अधिक संख्या में नेपाली स्वतंत्र समूह के छात्रों ने अध्यक्ष संधर्ष गौतम के नेतृत्व में काठमांडू के माइती घर के बाहर गो बैक चाइना के बैनर पोस्टर के साथ पहुंचे और चीन के खिलाफ मुर्दाबाद, चीन कब्जा करना बंद करो, नेपाली भूमि वापस करो के नारे लगाने लगे.

सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची नेपाल पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बल पूर्वक वहां से हटा दिया. अध्यक्ष ने कहा कि चीन आंतरिक मामलों में अब दखल देने लगा है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. नेपाली छात्रों ने आरोप लगाया कि चीन ने नेपाल की भूमि हड़प ली है, लेकिन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चुप हैं. बता दें कि तिब्बत से लगते सीमावर्ती जिले के लमचा गांव में चीन ने यह अवैध कब्जा किया है. नेपाल-चीन सीमा को रेखांकित करने वाला पिलर-11 वहां से गायब है.

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तो सवाल ये उठता है कि चीन की इस हरकत के बावजूद केपी शर्मा ओली शांत क्यों है? क्या इसमें उनका कोई निजी स्वार्थ है या फिर चीन के खिलाफ बोलने की उनमे हिमत नहीं है. तो अब देखना हो की नेपाल के छात्रों का ये प्रदर्शन देख चीन के कदम डगमगाते है या नहीं.

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