वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, धरती के इन हिस्सों पर आने वाला है खतरा

इस समय धरती पर एक भयंकर खतरा मंडरा रहा है। या फिर यह कह सकते है की प्राकृतिक आपातकाल जारी हो गया है। अब आप सोच रहे होंगे की ऐसी क्या बात हो गई जिस वजह से धरती पर आपातकाल की स्थिति  में आ रही है। जानकारी के लिए बता दें  कि आर्कटिक महासागर में मौजूद सबसे पूराना और स्थिर आइसबर्ग बहुत ही तेजी से पिघल रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पिघलते आइसबर्ग एक बड़े खतरे का संकेत लगातार मिल रहे हैं।

आर्कटिक महासागर में शामिल जिस आइसबर्ग के पिघलने की बात कर रहे हैं उसे ‘द लास्ट आइस एरिया’ के नाम से जाना जाता है। द लास्ट आइस एरिया दुनिया का सबसे पूराना और स्थिर बर्फ वाला इलाका है। 130 देशों के 11,000 वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि द लास्ट आइस एरिया बहुत ही तेजी से पिघल रहा है। 2016 में इस आइसबर्ग का क्षेत्रफल करीब 4,143,980 वर्ग किमी में था, जो घटकर अब मात्र 9.99 लाख वर्ग किलोमीटर में सिमट गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तेजी से यह आइसबर्ग पिघल रही है उस हिसाब से 2030 तक यह पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।

2016 में इस आइसबर्ग का क्षेत्रफल करीब 4,143,980 वर्ग किमी में रह गया  था, जो घटकर अब मात्र 9.99 लाख वर्ग किलोमीटर में सिमट गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तेजी से यह आइसबर्ग पिघल रही है उस हिसाब से 2030 तक यह पूरी तरह से खत्म हो सकती है । ‘द लास्ट आइस एरिया’ में हो रहे बदलाव का असर सीधे ग्रीनलैंड और कनाडा के आसपास वाले क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन जगहों पर भी गर्मी बढ़ सकती है। दोगुनी से ज्यादा गति से पिघल रही इस आइसबर्ग का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस आइसबर्ग में विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतु रहते हैं। यदि ऐसे ही यह बर्फ पिघलती रही तो व्हेल, पोलर बियर, सील और पेंग्विन से खूबसूरत जीव-जंतु खत्म हो रहे है। इन जीव-जंतु का दुनिया से अस्तित्व मिट रहे है।

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