शिव पुराण के अनुसार भोलेनाथ को भूलकर भी ना चढ़ाए ये फूल, वरना…

दोस्तों शिवजी को हम यहाँ जिस विशेष फूल की बात कर रहे हैं वो हैं केतकी का फूल. शिवजी की पूजा करते समय आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आप उन्हें केतकी का फूल ना चढ़ा दे. अब आपके मन में ये सवाल भी उठ रहा होगा कि आखिर इस फूल में ऐसा क्या हैं जो यह शिवजी को नहीं चढ़ाया जा सकता. इस बात का जिक्र शिवपुराण में किया गया हैं जो हम आपको बताने जा रहे हैं.

ब्रह्माजी की इस गलती की वजह से शिवजी को नहीं चढ़ता केतकी का फूल

दोस्तों शिवपुराण के मुताबिक एक बार ब्रह्माजी और विष्णु भगवान में लड़ाई हो गई कि आखिर हम दोनों में से ज्यादा बड़ा और शक्तिशाली कौन हैं. ऐसे में इस बात का फैसला करने के लिए दोनों शिवजी के पास गए. शिवजी यहाँ जज की भूमिका निभा रहे थे. इन दोनों देवो की शक्तियों को आकने के लिए शिवजी ने उन्हें एक टास्क दिया. भोलेनाथ ने अणि शक्ति से एक ज्योतिर्लिंग प्रकट किया. इसे बाद उन्होंने ब्रह्मा और विष्णु से कहा कि दोनों में से जो भी पहले ज्योतिर्लिंग का आदि-अंत पता कर लेगा वो बड़ा होगा. ऐसे में ब्रह्मा जी ज्योतिर्लिंग का आदि पता करने चले गए तो वहीँ विष्णु जी अंत ढूँढने गए.

ब्रह्मा जी को कई दूर नीचे तक जाने पर भी उसका आदि (उत्पत्ति) का पता नहीं चला. वहीँ विष्णु जी भी काफी ऊपर तक गए लेकिन वे उस ज्योतिर्लिंग का अंत पता नहीं कर पाए. इस बीच ब्रह्माजी ने देखा कि उनके साथ एक केतकी का फूल भी नीचे की ओर जा रहा था. ऐसे में खुद को विजेता साबित करने के लिए ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को झूठ बोलने के लिए मन लिया. इसके बाद वे शिवजी के पास गए और केतकी को एक झूठा गवा बताकर बोले कि आइने ज्योतिर्लिंग का आदि ढूंढ लिया हैं. वहीँ विष्णु भगवान वापस आकर बोले कि वे अंत का पता नहीं लगा आए.

हालाँकि शिवजी ब्रह्माजी के झूठ को भा गए थे. इसलिए उन्होंने क्रोध में आकर ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया. इस तरह ब्रह्माजी पंचमुखी से चारमुखी हो गए. साथ ही केतकी के फूल के झूठ बोलने की वजह से उन्होंने अपनी पूजा में उस पर पाबन्दी लगा दी.

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