सावधान ! इस तरह पहना मंगलसूत्र तो जल्‍दी हो सकती है पति की मृत्‍यु

हिंदू धर्म में विवाह के दौरान कई तरह के रीति-रिवाज़ निभाए जाते हैं जिनमें से एक है वर का वधू को मंगलसूत्र पहनाना। हिंदू धर्म में इस रस्‍म के बिना विवाह अधूरा माना जाता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंगलसूत्र को मंगलकारक माना गया है। इसमें लगा सोना बृहस्‍पति ग्रह को मजबूत करता है एवं बृहस्‍पति खुशहाल और सुखी दाम्‍पत्‍य का कारक है।

सुहागिन स्‍त्रियां चाहे कोई जेवर पहनें या ना पहनें लेकिन मंगलसूत्र तो उन्‍हें पहनना ही होता है। इसे सुहाग की निशानी समझा जाता है। जब तक स्‍त्री का पति उसके साथ रहता है या जीवित रहता है तक तक उसे अपने गले में मंगलसूत्र पहनना होता है।

मंगलसूत्र किसका है प्रतीक

मंगलसूत्र में सोना और काले रंग के मोती लगे होते हैं। सोने को मां पार्वती और काले मोतियों को भगवान शिव क प्रतीक माना गया है। इसी कारण से कभी भी मंगलसूत्र को गले से उतारा नहीं जाता है। अगर कोई सुहागिन स्‍त्री मंगलसूत्र को पहने रहे तो इससे उसका दाम्‍पत्‍य जीवन सफल होता है। काले मोती शनि, राहू और केतु के साथ-साथ मंगल ग्रह के कुप्रभाव को विवाहित दंपत्ति से दूर रखता है।

आइए जानते हैं मंगलसूत्र से जुड़ी कुछ खास बातें। अगर आप मंगलसूत्र से संबंधित ये गलतियां करते हैं तो इन्‍हें समय रहते ही सुधार लीजिए।

मंगलसूत्र से जुड़ी खास बातें

जब विवाह के समय कोई स्‍त्री मंगलसूत्र पहनती है तो उसके बाद से उसे उस सूत्र को उतारना नहीं चा‍हिए। लेकिन अगर किसी स्थितिवश या मजबूरी में इसे उतारना पड़े तो अपने गले में काला धागा जरूर डालकर रखें।

किसी भी सुहागिन स्‍त्री को किसी अन्‍य महिला का मंगलसूत्र नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने से पति की आयु कम होती है एवं पति-पत्‍नी के बीच तनाव भी रहता है।

मंगलसूत्र में काले मोती होना जरूरी होता है। काले मोतियों से बना मंगलसूत्र बहुत शुभ माना जाता है। यही काले मोती बुरी नज़र से पति की रक्षा करते हैं।

मंगलसूत्र में सोने का रहना आवश्‍यक होता है। सोना गुरु के बुर प्रभाव को कम करता है और वैवाहिक जीवन में सुख और ऊर्जा देता है। सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक मंगलसूत्र शुद्ध सोने का होना चाहिए।

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