सेंथल मैं यादें जैनब की मजलिस का समापन

सेंथल।(सय्यद बिज़ात) यादें जैनब की ओर से पांच दिवसीय मजलिस के आखिरी दौर में तेजी आ गई है। छोटा इमामबाड़ा स्थित मोहल्ला हकिम टोला में लखनऊ से आए मौलाना बाक़र रिज़वी मशहदी नें मजलिस को ख़िताब करते हुए कहा कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा के दुनिया से रुखसत कर जाने के बाद अरब का बादशाह यज़ीद चाहता था कि मोहम्मद साहब के दुनिया में लाए हुए इस्लाम को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए।

इसलिए दुश्मनों ने पहला हमला उनकी बेटी जनाबे फातिमा जहरा पर किया जब वह भी इस दुनिया से रुखसत हो गई। तब यज़ीदियों को डर सताने लगा कि कही लोग पैगंबर मोहम्मद साहब के दामाद और जनाबे फातिमा के शौहर इमाम अली के साथ ना खड़े हो जाए इस दौरान उन्होंने इमाम अली पर भी  मस्जिद में सजदे की हालत में हमला किया जिसके बाद इमाम अली भी इस  दुनिया से रुखसत हो गए। इन सबके दुनिया से चले जाने के बाद यज़ीदी इमाम हुसैन पर दबाव बनाने लगे कि उस वक्त का जबरन खलीफा यज़ीद बने। बस अपार शक्ति के सामने हुसैन ने सर नहीं झुकाया और इमाम हुसैन ने इस्लाम की खातिर आपने साथियों की  72 कुर्बानी पेश कर यज़ीद जैसे जालिम की बैअत नहीं की।

इस दौरान इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करके अकीदतमंद ज़ारो कतार रोने लगे। वही मौलाना बाक़र मशहदी नें कहा कि जब कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत हो गई  कैदियों को आजाद किया गया। तब आजाद होने के बाद इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब ने पहली मजलिस दमिश्क के एक घर में बरपा की। इस बीच मौलाना नें कहा कि शियों का कोई मुस्लिम घर ऐसा नहीं बचता जहां पर कर्बला के शहीदों का जिक्र न होता है। वही आयोजन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया इस मौके पर मोहिब ज़ैदी, असद ज़ैदी,काशान, फ़ुज़ैल ज़ैदी,यासीन मेंहदी, अयाज़ हैदर, मुज़य्यन, असहाब हैदर, अरबाब हैदर, मोनिस, सैफ, समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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