11 महीने में कांग्रेस के हाथ से दूसरा राज्य फिसला : फ्लोर टेस्ट में फेल हुए पुडुचेरी के CM नारायणसामी

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार गिर गई। मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी सोमवार को बहुमत साबित नहीं कर सके और अपने विधायकों के साथ सदन से वॉकआउट कर दिया। कुछ देर बाद ही वे राजभवन पहुंचे और उपराज्यपाल (LG) को इस्तीफा सौंप दिया है।

विधानसभा के विशेष सत्र में नारायणसामी ने कहा, ‘हमने द्रमुक और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। इसके बाद हमने कई चुनाव देखे। सभी उपचुनावों में हमने जीत दर्ज की। एक बात साफ हो चुकी है कि पुडुचेरी के लोगों का हम पर भरोसा है।’

केंद्र ने धोखा दिया, भाजपा हिंदी थोपना चाहती है
नारायणसामी ने सरकार गिरने का ठीकरा केंद्र की मोदी सरकार पर फोड़ा। उन्होंने कहा, ‘पूर्व LG किरण बेदी और केंद्र सरकार ने विपक्ष के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश की। अगर हमारे विधायक हमारे साथ होते, तो सरकार पांच साल चलती। केंद्र से हमने फंड मांगा था, उसे न देकर सरकार ने पुडुचेरी के लोगों के साथ धोखा किया।’

सीएम ने यह आरोप भी लगाया कि पुडुचेरी पर हिंदी अपनाने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु और पुडुचेरी में हम दो भाषाओं को स्वीकार करते हैं, लेकिन भाजपा हम पर जबरन हिंदी थोपना चाहती है।’विधानसभा के विशेष सत्र में सीएम नारायणसामी ने केंद्र की मोदी सरकार को कोसा। बाद में मीडिया से कहा कि स्पीकर ने नॉमिनेटेड विधायकों को वोटिंग का अधिकार देकर हमारी सरकार गिरा दी। यह लोकतंत्र की हत्या है।

करीब एक महीने पहले शुरू हुआ था संकट
नारायणसामी सरकार का संकट 25 जनवरी को शुरू हुआ था। उस दिन पीडब्ल्यूडी मंत्री नमस्सिवयम और थीप्पाइंजन ने विधायक पद से इस्तीफा दिया था। तीन दिन बाद ही 28 जनवरी को उन्होंने दिल्ली पहुंचकर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके 21 दिन बाद 15 फरवरी को मल्लादी कृष्णा राव ने भी विधायकी छोड़ दी।

15 फरवरी को ही पार्टी के सीनियर लीडर राहुल गांधी हालात संभालने पुडुचेरी पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। उल्टा, अगले ही दिन 16 फरवरी को विधायक जॉन कुमार का भी इस्तीफा हो गया। कांग्रेस के एक विधायक धनवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पिछले साल जुलाई में ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

सरकार संकट में आई तो केंद्र ने उपराज्यपाल को बदला
16 फरवरी को कांग्रेस के चौथे विधायक का इस्तीफा होते ही केंद्र की मोदी सरकार एक्शन में आई और आनन-फानन में किरण बेदी को उपराज्यपाल पद से हटा दिया गया। उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को प्रभार सौंपा गया। सुंदरराजन ने सरकार से 22 फरवरी को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया।

फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले दो और इस्तीफे
22 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होना था। इससे एक दिन पहले ही कांग्रेस के एक और विधायक लक्ष्मीनारायणन और इसके बाद सहयोगी दल DMK के वेंकटेशन ने भी विधायकी छोड़ दी। इसके साथ ही नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई और उसका सरकार बचा पाना मुश्किल हो गया।

बहुमत साबित करने से पहले वॉकआउट
नारायणसामी ने रविवार शाम को अपने विधायकों के साथ सीएम हाउस में बैठक की। सोमवार सुबह वे विधानसभा पहुंचे। अपनी सरकार की उपलब्धियां और भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार को कोसा। इसके बाद अपने विधायकों के साथ सदन से वॉकआउट कर दिया। कुछ ही देर बाद उन्होंने उपराज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया।

11 महीने में कांग्रेस के हाथ से दूसरा राज्य फिसला
2020 की शुरुआत में कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी और महाराष्ट्र में सत्ता में थी। पिछले साल उसके हाथ से सबसे पहले मध्यप्रदेश निकला, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने कमलनाथ से बगावत कर दी। मार्च 2020 में कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। अब कांग्रेस को दूसरा झटका पुडुचेरी में मिला है।

अब कांग्रेस की सरकार राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में वह शिवसेना-एनसीपी के साथ गठबंधन में है। राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में वह अकेले दम पर सरकार चला रही है। इनमें भी राजस्थान का मामला नाजुक है, जहां जुलाई-अगस्त 2020 में डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट सीएम अशोक गहलोत से बगावत कर चुके हैं। गहलोत एक बार फ्लोर टेस्ट पास कर चुके हैं, लेकिन दोबारा बगावत होने की स्थिति में उन्हें फिर बहुमत साबित करना होगा।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें