बंद कमरे 20 मिनट नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात …और बिहार की सियासत में आ गया भूचाल!

बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा, विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेंबर में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ बीस मिनट की बैठक हुई, जिसके बाद तरह-तरह की बातें शुरु हो गई, इस मुलाकात के हाद बिहार में एनआरसी लागू नहीं करने और साल 2010 के प्रावधानों के मुताबिक ही एनपीआर लागू करने की सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करवा लिया गया।

नीतीश-तेजस्वी मुलाकात की इनसाइड स्टोरी

बिहार विधानसभा बजट सत्र के दौरान 25 फरवरी को ऐसी बात हुई, जिसके बारे में शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा, करीब तीन साल बाद नीतीश और तेजस्वी यादव की एक कमरे में मुलाकात हुई, इस दौरान राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और कांग्रेस विधायक अवधेश नारायण सिंह भी मौजूद थे।

धर्म-निरपेक्ष छवि दिखाने की कोशिश

एक लीडिंग वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इस मुलाकात के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने इन तीनों नेताओं के सामने अपनी धर्मं-निरपेक्ष छवि दिखाने की भरपूर कोशिश की, साथ ही तेजस्वी यादव ने भी सीएम नीतीश से कहा कि जब आप खुले मंच से एनआरसी का विरोध पहले ही कर चुके हैं, तो एनपीआर के साथ एनआरसी के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित कराई जाए, इस पर सीएम ने तुरंत अपनी रजामंदी दे दी। इसके बाद वही हुआ जो बंद कमरे में दो बड़े नेताओं में डील हुई थी, ये मुलाकात सदन में सीएम के चेम्बर में चल रही थी, जैसे ही सदन की कार्यवाही फिर शुरु हुई, तो दोनों प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

20 मिनट की मुलाकात के सियासी मायने

नीतीश -तेजस्वी की इस मुलाकात के बाद सियासी हलकों में इस बात की खूब चर्चा है, कि फिर से कहीं साल 2020 विधानसभा चुनाव में चाचा-भतीजा एक साथ तो नहीं होने वाले हैं, सूत्रों का दावा है कि सुशासन बाबू एनआरसी को लेकर इन दिनों ज्यादा परेशान चल रहे हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है, कि इससे मुस्लिम वोटर उनसे दूर जाने लगे हैं, ऐसे में एक बड़े प्रयोग के जरिये उन्होने अपनी छवि सुधारने की कोशिश की है।

नीतीश के धोखे से नाराज बीजेपी

बीजेपी कोटे से मंत्री विनोद सिंह, विजय कुमार सिन्हा और प्रेम कुमार ने दबी जुबान में इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताई, वहीं बीजेपी विधायक मिथलेश तिवारी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह एनआरसी पर जो फैसला लेंगे, वही मान्य होगा, बीजेपी विधायकों ने इस प्रस्ताव को लेकर खुलकर अपनी अहसमति जत दी है, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी को एनआरसी से ज्यादा नीतीश-तेजस्वी मुलाकात की चिंता है। खैर, सुशासन बाबू के मास्टरस्ट्रोक से उन्हें चुनाव में कितना फायदा होगा, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन बीजेपी पर 20 मिनट भारी पड़ रहा है, बीजेपी को लग रहा है कि नीतीश कुमार फिर पलटी ना मार दें।

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