4 दशक पहले तमिलनाडु से चोरी हुई राम-सीता और लक्ष्मण की मूर्ति, लंदन ने भारत को सौंपी

हिंदूओं की संस्कृति और पवित्र प्रतीक चिह्नों पर हमला करने का सिलसिला सैकड़ों सालों पुराना है. देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों पर विदेशी आक्रांताओं और देश की नफरती लोगों ने हमला करके मूर्ति चुराई और उनमें तोड़ फोड़ की लेकिन आज देश में ऐसी सरकार है जो हिंदुस्तान की सबसे पुरानी संस्कृति पर हमला कतई भी बर्दाश्त नहीं करती है. और लगातार उन देवी देवताओं की मूर्तियों को वापस ला रही हैं जिन्हें चोरी करके विदेश में बेच दिया गया था. अब खबर है कि 1978 में तमिलनाडु के विष्णु मंदिर से चोरी हुई विजयनगर काल की भगवान राम, माँ सीता और लक्ष्मण की 3 बेशकीमती मूर्तियाँ ब्रिटिश पुलिस की ओर से लंदन में भारतीय वाणिज्य दूतावास को सौंप दी गई हैं.

https://twitter.com/HCI_London/status/1305929975397339136?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1305929975397339136%7Ctwgr%5Eshare_3&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.vknewsindia.in%2Fbig-news%2Fstatue-of-ram-sita-and-laxman-stolen-from-tamil-nadu-4-decades-ago-london-handed-over-to-india-093327%2F

जानकारी के मुताबिक इस अवसर पर लंदन में भारतीय उच्चायोग के भवन में एक औपचारिक समारोह आयोजित किया गया. जिसमें मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारी, इंडिया हाउस के कर्मचारी और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाग लिया. वहीं इस समारोह के दौरान एक हिंदू पुजारी ने देवताओं की एक पारंपरिक पूजा- अर्चना भी की. इन मूर्तियों की वापसी भारत की सांस्कृतिक विरासत की चोरी और तस्करी की गई कलाकृतियों को वापस लाने के लिए भारत सरकार के बढ़ते प्रयासों का एक हिस्सा है. सरकार की ओर से ये उन घृणित लोगों के लिए भी करारा जवाब है जो हिंदू देवी देवताओं की मूर्तिओं के साथ बर्बरता करते हैं.

कार्यक्रम के दौरान मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि 1947 से 2014 के बीच हमें केवल 13 मूर्तियों को वापस किया गया था. लेकिन सरकार के बढ़ते प्रयासों के परिणामस्वरूप 2014 के बाद विदेशी देशों की ओर से 40 से अधिक कलाकृतियों को भारत को सौंप दिया गया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक  मूर्तियों को आनंदमंगलम राम, लक्ष्मण और सीता के नाम से जाना जाता है. ये मूर्तियाँ विजयनगर काल में कांस्य प्रतिमाओं से विशेष रूप से तैयार की जाती थी. इन मूर्तियों की उपस्थिति की पुष्टि पिछले साल हुई थी जब एक स्वयंसेवक ने एक तस्वीर भेजी थी. तस्वीरों को श्री राजगोपाला स्वामी मंदिर, आनंदमंगलम, मयूरम तालुक, तंजावुर जिले से चोरी की गई मूर्तियों के साथ मिलान किया गया था.

तमिलनाडु सरकार के मूर्ति विंग के अधिकारियों की मदद से, लंदन में भारतीय दूतावास और एएसआई ने मूर्तियों की पहचान और उत्पत्ति की पुष्टि की थी. कथिततौर पर भारत के पहले उच्चायुक्त, लंदन के सचिव राहुल नंगारे ने उस डीलर का पता लगाया था जिसके पास ये मूर्तियाँ थी. वो भी इन मूर्तियों की चोरी की स्थिति से अनजान थे. डीलर ने इन मूर्तियों के महत्व को समझने के बाद वापस इन मूर्तियों को उन्हें सौंप दिया.

जानकारी के मुताबिक उसी समूह की एक और हनुमान मूर्ति है, जिसे वर्तमान में दक्षिण पूर्व एशिया के एक संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है. अब मूर्तियों को वापस मंदिर में पूजा के लिए लाया जाएगा. बता दें कि इससे पहले लंदन पुलिस ने 2018 में 12 वीं शताब्दी की बुद्ध प्रतिमा सौंपी थी, जो 1961 में नालंदा में एएसआई संग्रहालय से चोरी हो गई थी. इसके अलावा 1998 में राजस्थान के एक मंदिर से भगवान शिव की एक प्राचीन 4 फीट की मूर्ति चोरी हो गई थी. पत्थर की इस मूर्ति में भगवान शिव नटराज रूप में हैं. 2003 में तस्करी के माध्यम से ये लंदन पहुंच गई. हाल ही में इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को लौटाने की घोषणा की गई है.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें