टैंकों के साथ खतरनाक इरादे से घुसपैठ की कोशिश में थे 500 चीनी सैनिक, भारतीय सेना की घेराबंदी देख बिना लड़े उल्टे पाँव भागना पड़ा

भारत-चीन सीमा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा। चीनी सरकार की आक्रामक नीति का नतीजा है कि कई हफ्ते से शांत दिख रहे लद्दाख की सीमा पर 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र के दक्षिणी तट की ओर से चायनीज सैनिकों ने फिर से घुसपैठ करने की कोशिश की।

चीनी सैनिकों को इस प्रयास में हालाँकि मुँह की खानी पड़ी। भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग त्सो (PangongTso) के दक्षिण तट पर घुसपैठ कर रहे चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया। लेकिन पढ़ने में जितना यह आसान है, हकीकत में चीनी सैनिकों को पीछे धकेलना उतनी ही मुस्तैदी और शौर्य भरा काम था।

ऐसा इसलिए क्योंकि चायनीज सैनिक बहुत ही तैयारी के साथ आए थे। आक्रामक होकर आए थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास 500 से अधिक चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाकों में घुसने का प्रयास किया।

चीनियों के आक्रामक रवैये को समझना है तो सिर्फ 500+ सैनिकों की घुसपैठ को मत देखिए। नवभारत टाइम्स में पूनम पांडे (रक्षा संवाददाता) की रिपोर्ट बताती है कि इन 500 से अधिक चायनीज सैनिकों को कवर करने के लिए इनके साथ-साथ टैंक भी आए थे।

भारतीय सेना हालाँकि चीनियों की इस आक्रामक नीति और चुपके से घुस कर बैठे जाने की प्रवृति से वाकिफ थी। इसीलिए तैयार भी थी। अपनी सीमा की इंडियन आर्मी ने ऐसी घेराबंदी की थी, पट्रोलिंग में ऐसी मुस्तैदी थी कि चायनीज सैनिकों को बिना लड़े भागना पड़ा। 

आगे उन्होंने बताया,

“भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के इस दुस्साहस भरे एक्शन को समय रहते निष्क्रिय कर दिया। भारतीय सेना ने इसके बाद सीमा पर अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया। सीमा पर चीनी इरादों को पूरी तरह विफल कर दिया गया।

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