अमेरिका में 95 हजार भारतीय महिलाओं पर मंडराया संकट, होने वाला है इनके साथ ये सब !

 

वाशिंगटन  । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ नीति का बड़ा असर कामकाजी भारतीय महिलाओं पर पड़ने वाला है। एच-1बी आईटी कर्मियों पर निर्भर ‘एच 4वीज़ा’ धारक स्पाउस को काम करने के अधिकार (ईएडी) से वंचित किए जाने की मुहिम एक बार फिर जोर पकड़ रही है। डिपार्टमेंट आफ होमलैंड सिक्योरिटी ने अगले साल मार्च में एच -4 वीजाधारकों को काम करने के अधिकार से वंचित किए जाने के लिए इसे यूनिफाइड एजेंडा में शामिल करने की घोषणा की है। यूनिफाइड एजेंडा फेडरल सरकार का नियम बनाए जाने का मसौदा है।

सिलिकन वैली में महंगाई की मार से बचने और पति का हाथ बंटाने की गरज से रोजगार में जुटी ऐसी 95 हजार भारतीय महिलाओं को रोजगार से हाथ धोना पड़ सकता है।

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में एच 1 बी अस्थाई वीजाधारकों पर निर्भर उनके स्पाउस को सन 2015 में काम करने का अधिकार दिया गया था। ट्रम्प ने सत्तारूढ़ होने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की सितम्बर, 2019 में तीन जजों की बेंच में अपील के बाद यह आदेश आया कि इसे एच 4 वीजाधारकों को काम का अधिकार दिया जाना तर्कसंगत नहीं है। इससे अमेरिकी आईटी पेशेवरों को रोजगार में कठिनाइयां आ रही हैं। पिछले दिनों ‘सेव यू एस ए जॉब्स’ के अटार्नी जान मियानो ने यह कह कर स्थिति को और उलझा दिया था कि ओबामा को एच-1 बी पर निर्भर एच 4 को ‘ईएडी’ का अधिकार देने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था । यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी के एक सर्वे को माने तो एच 4वीजा पर निर्भर सर्वाधिक भारतीय महिलाएं हैं।

एच 4 वीजाधारक भारतीय महिलाओं में 96 प्रतिशत ग्रेजुएट और 59 प्रतिशत पोस्ट ग्रेजुएट हैं। इनमें से 43 प्रतिशत ने घर खरीदे हैं। इनमें करीब 60 प्रतिशत महिलाएं अमेरकी सरकार को कर देती हैं।

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