यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला, लखनऊ और नोयडा में कमिश्नर तैनात  

उत्तर प्रदेश पुलिस व्यवस्था के सिस्टम में आज कई दिनों से चर्चा का विषय बनी बहु प्रतीक्षित पुलिस आयुक्त प्रणाली आज लखनऊ और नोयडा दो शहरों के लिए लागू करदी गयी। सरकार ने इस निर्णय को एक बड़े और सुधारवादी कदम के रूप में पेश किया। कैबिनेट बैठक में सुबह जल्दी लिए गए इस फैसले को मीडिया में बताने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेसवार्ता की। मुख्यमंत्री ने बिंदुवार कमिश्नरी सिस्टम पर लिए गए फैसले की जानकारी दी। इस दौरान अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी उनके साथ मौजूद रहे।

बताया पुलिस सुधार का सबसे बड़ा कदम

प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की दृष्टि से आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारी सरकार ने आज पुलिस सुधार का सबसे बड़ा कदम उठाया है। पिछले 50 वर्षों से बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए तथा कानून व्यवस्था के सुदृढ़ स्थिति के लिए मांग की जा रही थी। मुझे बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आज हमारी कैबिनेट ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ तथा प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में विख्यात नोएडा में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का यह प्रस्ताव पास किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस सुधार के लिए समय समय विशेषज्ञों द्वारा सुझाव दिए गए थे। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में वर्षों से इस बात को महसूस किया जा रहा था कि पुलिस आयुक्त की प्रणाली यहां पर भी लागू होनी चाहिए। 10 लाख से ऊपर की आबादी के क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने कि बात लगातार चल रही थी। प्रदेश में कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा की बेहतर दृष्टि से यह कार्य होना था लेकिन इसे कहीं ना कहीं नजरअंदाज किया जा रहा था जिस वजह से यह कार्य अभी तक नहीं हो सका।

सीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जिन दो महत्वपूर्ण शहरों में हमारी सरकार ने कमिश्नर प्रणाली लोगों करने का निर्णय लिया है, उनमे इसकी वास्तविक जरूरत थी। अगर 2011 की आबादी के हिसाब से लखनऊ की आबादी को देखें तो 29 लाख से ज्यादा लोग शहर में निवास करते हैं, और अगर नोएडा में 2011 की जनसंख्या देखे तो 16 लाख से अधिक की आबादी वहां निवास करती है। वर्तमान में नोएडा की आबादी 25 लाख हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि एडीजी स्तर का अधिकारी यहां पर कमिश्नर के रूप में कार्य करेगा। उनके साथ दो जॉइंट पुलिस कमिश्नर जो आई जी रैंक के होंगे उनकी तैनाती होगी। एसपी रैंक के 9 अधिकारी और साथ ही महिला अपराधों को रोकने के लिए महिला सुरक्षा के लिए एक महिला एसपी रैंक की अधिकारी भी तैनात होगी। इसके साथ एसपी या एएसपी स्तर के एक अधिकारी यातायात के लिए भी नियुक्त किए जाएंगे। जिससे वह स्मार्ट सिटी में यातायात सुविधाओं को देखेंगे। गौतमबुद्धनगर प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ा है। जिसमें एक एडीजी स्तर का पुलिस कमिश्नर होगा इस के साथ दो एडिशनल पुलिस कमिश्नर जो डीआईजी रैंक के अफसर होंगे उनको तैनात करने का निर्णय लिया है। पांच पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी उनके साथ रहेंगे। यह भी तय हुआ है कि वहां भी एक महिला पुलिस अधिकारी केवल महिला अपराधों मामलों के संबंधित विवेचना करने तथा उनकी समस्याओं को सुनने, हल करने और महिला अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए तैनात की जाएंगी। इसके साथ एक पुलिस अधीक्षक स्तर का अधिकारी ट्रैफिक के लिए भी नियुक्त किया जाएगा। गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली में 2 नए थाने बनाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस आयुक्त प्रणाली में पूरी टीम वर्क की तरह कार्य करती है जिससे वह स्मार्ट पुलिसिंग को आगे बढ़ा सकें इसके साथ ही उन्हें मजिस्ट्रेटियल पावर भी होती है और ऐसे 15 अधिकार उन्हें दिए जा रहे हैं। किस अधिकारी को क्या कार्य देना है यह पुलिस कमिश्नर खुद करेंगे। इस प्रणाली के लागू होने के साथ ही लखनऊ और नोएडा में भी दो – दो थाने बढ़ाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की पत्रकार वार्ता के महत्वपूर्ण बिंदु-

• आज का दिन उत्तर प्रदेश पुलिस की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज पुलिस सुधार का सबसे बड़ा कदम सरकार ने स्वीकृत किया है।

• इसके तहत प्रदेश की राजधानी लखनऊ तथा प्रदेश की आर्थिक राजधानी नोएडा( गौतमबुद्ध नगर) में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की जा रही है।

• 1970 से पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग उत्तर प्रदेश के अंदर कानून व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण हेतु होती आ रही थी। लेकिन इस पर कभी कोई ठोस निर्णय पिछली सरकारें नहीं ले पा रहीं थीं।

• उत्तर प्रदेश के अंदर पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की दृष्टि से लखनऊ और नोएडा में पुलिस आयुक्त एडीजी स्तर का पुलिस अधिकारी होगा।

• लखनऊ में पुलिस आयुक्त के साथ दो ज्वाइंट कमिश्नर आईजी रैंक के होंगे तथा नोएडा में पुलिस कमिश्नर के साथ दो एडिशनल कमिश्नर डीआईजी रैंक के होंगे।

• यह कदम व्यवस्था एवं जनहित में प्रदेश सरकार के द्वारा सुरक्षा और कानून व्यवस्था के सुदृढ़ स्थिति के लिए उठाया गया है।

• लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर के अधीन पुलिस अधीक्षक स्तर की एक महिला अधिकारी भी तैनात होगी, जो महिला संबंधी अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कार्य करेगी।

• इसके साथ ही यातायात के लिए भी एक पुलिस अधीक्षक के स्तर का अधिकारी तैनात होगा।

क्या ख़ास है पुलिस कमिश्नर प्रणाली में

कमिश्नर प्रणाली कि व्यवस्था में कमिश्नर व्यवस्था का सर्वोच्च पद होता है। भारत में यह व्यवश्था कई बड़े शहरों में पहले से लागू है। दरअसल हमें यह व्यवस्था आजादी के बाद विरासत में मिली है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के ज़माने के समय से चली आरही है। तब यह व्यवस्था कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में थी जिन्हें पहले प्रेसीडेंसी शहर कहा जाता था। बाद में उन्हें महानगरीय शहरों के रूप में जाना जाने लगा। इन शहरों में पुलिस व्यवस्था तत्कालीन आधुनिक पुलिस प्रणाली के समान थी। इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है।

कमिश्नर में निहित होती है मजिस्ट्रेटियल पावर भी

भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी (D.M.) के पास पुलिस पर नियत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अतिरिक्त, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियाँ प्रदान करता है। साधारण शब्दों में कहा जाये तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नही हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश तहत ही कार्य करते हैं। परन्तु पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं।

बड़े शहरों में अक्सर अपराधिक गतिविधियों की दर भी उच्च होती है। ज्यादातर आपातकालीन परिस्थतियों में लोग इसलिए उग्र हो जाते हैं क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी कार्रवाई हो सकेगी। इस सिस्टम से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के पास सीआरपीसी के तहत कई अधिकार आ जाते हैं। पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होते है। साथ ही साथ कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी बढ़ जाती है। दिन के अंत में पुलिस कमिश्नर, जिला पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक को अपने कार्यों की रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव (गृह मंत्रालय) को देनी होती है, इसके बाद यह रिपोर्ट मुख्य सचिव को जाती है।

आम तौर पर पुलिस आयुक्त विभाग को राज्य सरकार के आधार पर आईजी (IG) और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को दिया जाता है। जिनके अधीन, एक पदानुक्रम में कनिष्ठ अधिकारी होते हैं। कमिश्नर सिस्टम के कुल पदानुक्रम निम्नानुसार दिये गये हैं:

1. पुलिस कमिशनर – सी.पी. 2. संयुक्त आयुक्त –जे.सी.पी. 3. डिप्टी कमिश्नर – डी.सी.पी. 4. सहायक आयुक्त- ए.सी.पी. 5. पुलिस इंस्पेक्टर – पी.आई. 6. सब-इंस्पेक्टर – एस.आई. 7. पुलिस दल

पुलिस आयुक्त शहर में उपलब्ध स्टाफ का उपयोग अपराधों को सुलझाने, कानून और व्यवस्था को बनाये रखने, अपराधियों और असामाजिक लोगों की गिरफ्तारी, ट्रैफिक सुरक्षा आदि के लिये करता है। इसका नेतृत्व डीसीपी और उससे ऊपर के रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है। साथ ही साथ पुलिस कमिश्नर सिस्टम से त्वरित पुलिस प्रतिक्रिया, पुलिस जांच की उच्च गुणवत्ता, सार्वजनिक शिकायतों के निवारण में उच्च संवेदनशीलता, प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग आदि भी बढ़ जाता है।

जानिये आखिर क्या है पुलिस कमिश्नर प्रणाली, किस तरह के अधिकार मिलते हैं इस व्यवस्था में,

उत्तर प्रदेश में काननू व्यवस्था को मजबूत करने के लिये राज्य की योगी सरकार अब कमिश्नरी व्यवस्था को लागू कर चुकी है। सुजीत पांडेय लखनऊ और आलोक सिंह नोयडा के पहले पुलिस कमिश्नर बन चुके हैं।बीते तीन सालों में कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण के साथ-साथ बेहतर पुलिसिंग के फ्रंट चुनौती झेल रही उत्तर प्रदेश सरकार ने अब कमिश्नर प्रणाली के सहारे सब कुछ ठीक करने कि मंशा से यह कदम उठाया है।इस प्रणाली में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्टेरियल पावर पुलिस को मिल जाएंगी। यानी पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका लगाने में सक्षम हो जाएगी। इन सभी कार्रवाई के लिए डीएम की परमिशन का झंझट खत्म कर पुलिस कमिश्नर इस पर फैसला ले सकेंगे।

और ताकतवर हो जाएगी पुलिस

कानूनी भाषा में कहे तो सीआरपीसी की मजिस्ट्रियल पावर वाली जो कार्यवाही अब तक जिला प्रशासन प्रशासन के अफसरों के पास थे वह सभी मजिस्टेरियल पावर पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगे। यानी सीआरपीसी में 107-16, धारा 144, 109, 110, 145 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी पुलिस को मिल जाएंगी।

होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस को दिए जा सकते हैं। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना पुलिस तय करेगी। दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग होगा यह भी पुलिस तय करेगी। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण में भी पुलिस को अधिकार मिलेगा। पुलिस सीधे लेखपाल को पैमाइश करने का आदेश देगी। हत्या मारपीट आगजनी बलवा जैसे तमाम घटनाएं जमीनी विवाद से शुरू होती हैं। कमिश्नर प्रणाली लागू होने से पुलिस ऐसे विवादों का जल्द निस्तारण कर सकेगी। कमिश्नर प्रणाली से शहरी इलाके में अतिक्रमण पर भी अंकुश लगेगा। अतिक्रमण अभियान चलाने का सीधे आदेश कमिश्नर देगा और नगर निगम को उस पर अमल करना होगा।

कुछ खामियां भी हैं प्रणाली में

इन तमाम खूबियों के बीच इस प्रणाली में कुछ खामियां भी हैं। इनमे सबसे महत्वपूर्ण पुलिस के निरंकुश होने का भी खतरा है। इस तरह कई प्रकार के आरोपों से जूझ रही उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए कमिश्नर प्रणाली दो धारी तलवार की तरह होगी।

पुलिस के पास वसूली के अधिकार होंगे तो पुलिस में भ्रष्टाचार के और अधिक बढ़ने का खतरा भी मंडरा आएगा। दूसरी तरफ यह भी कहा जारहा है कि एक आईजी स्तर के अफसर के हाथों में जिले की कमान और फिर डीसीपी और ज्वाइंट कमिश्नर के पदों पर भी डीआईजी रैंक के अफसरों की तैनाती इन अफसरों के अनुभव और साख से पुलिस के भ्रष्टाचार का खतरा कम होगा। दलील है कि जब अफसर 15 से 20 साल के अनुभव वाला अफसर जिले की कमान संभालेगा तो उसके अनुभव का लाभ पुलिसिंग में होगा। साथ ही बेदाग करियर की चिंता में अफसर खुद भी भ्रष्टाचार में शामिल नहीं होगा। जिसका उदाहरण दिल्ली, मुंबई बैंगलुरू, हैदराबाद जैसे शहरों में चल रही कमिश्नर प्रणाली उदाहरण है।

अचानक कैसे लागू हुआ पुलिस कमिश्नर सिस्टम?

चंदफ दिनों पहले ही नोएडा के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण के अश्लील वीडियो से शुरू हुआ उत्तर प्रदेश सरकार की किरकिरी का सिलसिला सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर विपक्षियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गया। सरकार को एसएसपी नोएडा को सस्पेंड और भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे 5 आईपीएस अफसरों को हटाना पड़ा। सीएए को लेकर हुए प्रदर्शनों में भी पुलिस व्यवस्था को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। इसी सब के बाद सरकार ने राजधानी लखनऊ और नोयडा में यह सिस्टम लागू करने का फैसला लिया।

पहले भी हुई कवायद

उत्तर प्रदेश में कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कवायद कोई पहली बार नहीं हुई है। सबसे पहले 1976-77 में प्रयोग के तौर पर कानपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कोशिश की गई। फिर साल 2009 में प्रदेश की मायावती सरकार ने भी नोएडा और गाजियाबाद को मिलाकर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी की। मायावती सरकार में तो ट्रांस हिंडन और ग्रेटर नोएडा समेत चार क्षेत्रों में ज्वाइंट कमिश्नर तैनात कर पुलिसिंग का खाका तक तैयार हो गया था, लेकिन आईएएस लॉबी के अड़ंगे और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से लागू नहीं किया जा सका। योगी सरकार में ही 27 दिसंबर 2018 को पुलिस वीक की रैतिक परेड में तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने भी प्रदेश की योगी सरकार से लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद समेत तमाम शहरों में प्रयोग के तौर पर ही सही कमिश्नर प्रणाली लागू करने की सिफारिश की थी।

नोएडा और लखनऊ में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद अफसरों की तैनाती।

राजधानी लखनऊ और नोयडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के तुरंत बाद यहां पर अधिकारियों कि तैनाती भी कर दी गयी। साथ ही पुराने सिस्टम में अहम् जिम्मेदारी देख रहे अफसरों को भी नयी तैनाती दे दी गयी। देखे नई तैनाती में किसको क्या जिम्मेदारी मिली….

सुजीत पाण्डेय पुलिस कमिश्नर लखनऊ।

नवीन अरोड़ा ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर लॉ एंड आर्डर लखनऊ।

नीलाब्जा चौधरी ज्वाइंट कमिश्नर क्राइम एंड हेड क्वार्टर।

नोएडा में आलोक सिंह पुलिस कमिश्नर।

अखिलेश कुमार एडिशनल कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर।

श्रीपर्णा गांगुली एडिशनल कमिश्नर क्राइम और मुख्यालय।

 

कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद 6 आईपीएस अफसरों को नई तैनाती।

संदीप सालुंके के एडीजी टेक्निकल सर्विस।

असीम अरुण एडीजी 112

जेएन सिंह एडीजी कानपुर जोन।

प्रेम प्रकाश एडीजी प्रयागराज जोन।

प्रवीण कुमार आईजी रेंज मेरठ।

लव कुमार डीआईजी गोरखपुर रेंज बनाए गए।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें