चिट्ठी विवाद के बाद कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल, गुलाम नबी आजाद समेत इन सभी को महासचिव पद से हटाया

नई दिल्ली
23 नेताओं द्वारा लिखी चिठ्ठी के बाद कांग्रेस के भीतर जिस बदलाव की आहट लगातार महसूस की जा रही थी, शुक्रवार की देर शाम उसका खुलासा हो गया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘घर भर के बदल डाले’ की तर्ज पर बड़े पैमाने पर संगठन के भीतर बदलाव कर डाला। इनमें जहां कांग्रेस वर्किंग कमिटि से लेकर राज्यों के प्रभारी महासचिव और प्रभारी सचिव तक बदले गए, वहीं कांग्रेस के भीतर संगठन चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई।

सोनिया गांधी ने नए अध्यक्ष के चुनाव के मद्देनजर सीनियर नेता मधूसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में पार्टी के भीतर सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी का ऐलान भी कर दिया। इतना ही नहीं, चिठ्ठी में अध्यक्ष के कामकाज में मदद करने के लिए जिस सिस्टम की मांग की गई, उस कमिटि का भी गठन किया गया, जिसमें अहमद पटेल, एके एंटोनी, अंबिका सोनी, मुकुल वासिनक, के सी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला को रखा गया। शुक्रवार को हुए बदलाव ने राहुल गांधी के कमान लेने की संभावना को पुख्ता किया है। माना जा रहा है कि ये तमाम बदलाव राहुल गांधी को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। जैसा कि कहा जा रहा था कि सोनिया गांधी अपने अमेरिका दौरे से पहले संगठन में बदलाव का फाइनल करना चाहती थीं। आने वाले दिनों में अपने रुटीन चेकअप के लिए सिलसिले में उन्हें अमेरिका जाना है।

शुक्रवार को हुए बदलाव में जहां गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, लुजिन्हो फलेरो से संगठन महासचिव की जिम्मेदारी ले ली गई, वहीं दूसरी ओर आशा कुमारी, अनुग्रह नारायण सिंह, आशा कुमारी व गौरव गोगोई व रामचंद खूंटिया से भी प्रदेश प्रभार वापस ले लिया गया। दूसरी ओर इस बदलाव में तमाम ऐसे नाम सामने आए, जो लंबे समय से संगठन व पार्टी के भीतर हाशिए पर चुपचाप चल रहे थे। वोरा जैसे सीनियर व परिवार के भरोसेमंद व्यक्ति से संगठन के प्रशासन की जिम्मेदारी लेकर यह जिम्मेरारी पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल को दी गई। मोतीलाल वोरा से जिम्मेदारी लेने के पीछे एकमात्र वजह उनकी बढ़ती उम्र व सेहत है।

कांग्रेस ने बदलाव करते हुए नौ महासचिव व 17 प्रभारी रखे हैं। इनमें जहां कुछ लोगों की जिम्मेदारी नहीं बदली, वहीं कुछ पुरानों को हटाकर नयों का लाया गया, जबकि कुछ के प्रभार बदल दिए गए। महासचिवों में मुकुल वासनिक, हरीश रावत, ओमन चांडी, प्रियंका गांधी, तारिक अनवर, रणदीप सुरजेवाला, जीतेंद्र सिंह, अजय माकन व केसी वेणुगोपाल हैं। हरीश रावत से असम की जिम्मेदारी लेकर पंजाब दिया गया, जबकि वासनिक से तमिलनाडु व पुद्दुचेरी जैसे प्रभार लेकर मध्य प्रदेश दिया गया। अभी तक वह अतिरिक्त प्रभार देख रहे थे। इनमें चाैकाने वाले नाम तारिक अनवर व सुरजेवाला रहे, जिन्हें क्रमश: केरल – लक्षद्वीप व कर्नाटक जैसे अहम राज्य दिए गए।

सरी ओर प्रभारियों में रजनी पाटिल, पीएम पुनिया, आरपीएम सिंह, शक्ति सिह गोहिल, राजीव सातव, राजीव शुक्ला, जितिन प्रसाद, दिनेश गुंडूराव, माणिकम टैगोर, चेल्ला कुमार, एच के पाटिल, देवेंद्र यादव, विवेक बंसल, मनीष चतरथ, भक्त चरणदास व कुलजीत नागरा शामिल हैं। इनमें रजनी पाटिल, पुनिया, सातव, गोहिल जैसे नेता पहले से प्रभारी रहे हैं। पाटिल से हिमाचल का प्रभार लेकर उन्हें जम्मू कश्मीर दे दिया गया। गौरतलब है कि प्रभारियों की लिस्ट में तमाम नाम ऐसे हैं, जो राहुल के पिछले कार्यकाल में प्रदेशों के प्रभारी सचिव का कामकाज देख चुके हैं।

इस पूरे बदलाव में चिठ्ठी कांड ने अहम भूमिका निभाई। जहां चिठ्ठी लिखने वाले कुछ चेहरों का कद कम किया गया, वहीं दूसरी ओर कई चेहरे ऐसे थे, जिनमें असंतोष दिखाने के बाद भी भरोसा दिखाया गया। वासनिक व जितिन प्रसाद इस श्रेणी में आते हैं। जबकि चिठ्ठी लिखने वाले आजाद, आनंद शर्मा को सीडब्ल्यूसी में रखा गया। इन असंतुष्टों में शामिल अरविंदर सिंह लवली को सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी की जिम्मेदारी दी गई। बदली हुई सीडब्ल्यूसी में 22 सीडब्ल्यूसी सदस्य, 26 परमानेंट इनवाइटीज व नौ स्पेशल इनवाइटीज हैं।

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