बिहार : भूख मिटाने को जिंदा रिक्शा चालक कफन ओढ़ बना मुर्दा, जानिए फिर क्या हुआ !

आरा
कोरोना ने पूरी दुनिया में भयंकर तबाही मचाई हुई है। कोविड-19 के तेजी से फैलते संक्रमण की वजह से यूं तो देश के ज्यादातर लोगों की हालत खस्ता हो चुकी है। लेकिन इस महामारी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है मजदूर वर्ग के लोगों पर। जो अपना जीवनयापन करने के लिए रोजाना की दिहाड़ी पर आश्रित होते है। बिहार में एक बार फिर से लॉकडाउन लगा हुआ है। इस वजह से मजदूर वर्ग के लोगों को अपना पेट भरने में काफी परेशानी हो रही है। इसी का ताजा उदाहरण बिहार में तब देखने को मिला, जब भूख मिटाने के लिए रिक्शा चालक कफन ओढ़ बना मुर्दा!

जी हां, चौंकिए नहीं। यह रिक्शा चालक मरा नहीं है, बल्कि जिंदा है। लेकिन, पेट की भूख और जिंदगी का सवाल है। ऐसे में भूख मिटाने के लिए उसे जिंदा ही कफन ओढ़कर शरीर पर फूलों की माला रखनी पड़ रही है। दरअसल कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बिहार में फिर से किये गये लॉक डाउन में रिक्शे की सवारी नहीं मिलने के कारण उसके सामने भूखमरी की स्थिति आ गई है। इसलिए पटना जिले के बिहटा निवासी रिक्शा चालक रामदेव को आरा में भूख मिटाने को यह तरकीब अपनानी पड़ रही है।

रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था, लॉकडाउन में सवारी नहीं मिल रहीं
मिली जानकारी के मुताबिक, रामदेव आरा में ही रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करता है, लेकिन पैसेंजर नहीं मिलने के कारण कभी-कभी खाना भी जुटाना मुश्किल हो रहा है। मजबूरी में उसने यह तरकीब अपनाई है। स्थिति यह हो गई तो उसने शरीर पर कफन ओढ़ कर माला रखी और अगरबत्ती जलाई। फिर डिस टैंक रोड के किनारे लेट गया। जो भी राहगीर आते- जाते थे, उस पर रुपये-पैसे रख देते थे। इस तरह उसे कुछ पैसे मिल गए।

‘इस लॉकडाउन में नहीं मिल रही कोई मदद’
उसने बताया कि पहले लॉकडाउन के दौरान बंटने वाले सामान से मदद भी मिल जाती थी लेकिन अब तो वो मदद भी नहीं मिल रही। ऐसे में भूख मिटाने को कुछ सूझा नहीं। लिहाजा मजबूरी में जिंदा रहते हुए भी मुर्दा बनना पड़ रहा है।

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