बिकरू काण्ड : डॉन विकास दुबे की गद्दी पर थी रिश्तेदार व गुर्गे की नजर, चाबियों का गुच्छा बना रहस्य

कानपुर। बिकरू डॉन विकास दुबे की गद्दी पर उसके ही एक रिश्तेदार व गुर्गे की नजर थी। पुलिसिया जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। बिकरू काण्ड के बाद फरारी के वक्त इस बात को लेकर अमर दुबे और विकास की कहासुनी भी हुई थी। एस बात की पुष्टी विकास दुबे के एक करीबी ने भी की है।

बिकरू काण्ड को अंजाम देने के बाद विकास अपने गुर्गों अमर दुबे, प्रभात मिश्रा तथा अन्य के साथ फरार हो गया था। विकास गुर्गों सहित पहले दिल्ली गया था, जहां से वह अपने एक रिश्तेदार अंकुर के यहां फरीदाबाद गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसने यहीं शरण ली थी। यहीं देर रात अमर दुबे का विकास दुबे की गद्दी को लेकर विवाद भी हुआ था।

जानकारी के मुताबिक विकास दुबे प्रभात मिश्रा को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था। यह बात अमर दुबे को मंजूर नहीं थी। उसकी विकास से इस बात को लेकर कहासुनी भी हुई थी। अमर ने विकास से कहा था कि उसकी शादी को अभी दो दिन ही हुए हैं, उसकी पत्नी का भी जेल जाने की स्थिति बन गई और गद्दी उसे ना देकर प्रभात को दे रहे हो, जिसके बाद विकास के डांटने पर वह रात में ही फरीदाबाद से कानपुर आ रहा था, तभी हमीरपुर में उसका एनकाउंटर हो गया। 

फरीदाबाद में अमर ने विकास से कहा था ‘हमसे इतना बड़ा काण्ड करवा दिया। अभी मेरी नई शादी हुई है। पत्नी को भी जेल जाने की नौबत आ गई है। इसके बाद भी गद्दी प्रभात को दोगे। अब मैं यहां एक मिनट भी नहीं रूक सकता।’ यह कहकर अमर फरीदाबाद से भाग आया था। इस बात का खुलासा तब हुआ जब फरीदाबाद में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने विकास के रिश्तेदार अंकुर को गिरफ्तार किया था। अंकुर से हुई पूछताछ को पुलिस ने चार्जशीट में भी शामिल किया है।

किसका है चाभियों का गुच्छा

बिकरू काण्ड के बाद विकास दुबे की छत से फारेंसिक जांच में टीम को चाभियों का एक गुच्छा मिला था। इसके अलावा दो चाभियां एक प्लास्टिक की पन्नी में भी थीं। पुलिस ने इसका जिक्र अपनी चार्जशीट में नहीं किया है। इन मिली चाभियों पर तमाम चर्चाएं चल रहीं हैं कि आखिर पुलिस ने इनका जिक्र क्यों नहीं किया। चाभियों का गुच्छा किसका है, इसके पीछे का रहस्य क्या है इसका कुछ पता नहीं चल सका है।

आयोग ने नहीं सौंपी रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जांच के लिए गठित आयोग से जांच रिपोर्ट देने की मांग की गई थी। आयोग दो मदीने की समय सीमा पूरी होने के बावजूद रिपोर्ट नहीं सौंप सका है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि आयोग दो महीने में भी रिपोर्ट दाखिल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नाकाम रहा। बता दें कि बीती 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग के गठन, इसको बनाने की तारीख सहित रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। विशाल तिवारी ने कहा कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है।

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