भाजपा: पूर्व मुख्यमंत्री पुत्र की टिकट बंटवारे पर अनदेखी को लेकर टिकी राजनेताओं की निगाहें

बगावत पर गिरा है भाजपा का ग्राफ 
खुद हारे जरूर फिर भी वोट पाकर कराया अहसास

राजीव शर्मा

अलीगढ़l भारतीय जनता पार्टी कीऊंचाई में अलीगढ़ का पुराना नाता रहा है। जिले ने भाजपा की केंद्र और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है l पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अनदेखी औऱ उनका पार्टी से मोह हटाना दोनों को भारी पड़ा है । अब 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया की टिकट बंटवारे पर अनदेखी को लेकर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

राम लहर में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बने । कार सेवा में
विवादित ढांचा मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कार्यकाल में गिरा और इस की जिम्मेदारी स्वीकार कर अपने पद से त्याग पत्र दिया। एक बार और चुनाव हुए। जोड़ तोड़ करके कल्याण सिंह फिर मुख्यमंत्री बने । स्वर्गीय अटल बिहारी पीएम बने। अटलजी के आखिरी पीएम कार्यकाल में कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने अलीगढ़ आकर नई पार्टी बनाई और अलीगढ़ समेत उत्तर प्रदेश में भाजपा साफ हो गई । कल्याण सिंह फिर भाजपा में आए। सीट बंटवारे में अलीगढ़ सीट पर प्रतिष्ठा जोड़ी । पार्टी ने फिर अनदेखी की l
बसपा से राजकुमारी ने यह सीट जीती। भाजपा से शीला गौतम चौथे स्थान पर रही। उस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सपा से ज़फर आलम को चुनाव लड़ाया। लेकिन वह चौदह हजार वोट से हार गये। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनके मुताबिक कई लोगों को टिकट दिया। वह सभी रिकॉर्ड वोट से जीते। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र व एटा सांसद की टिकट बंटवारे की अनदेखी पर राजनीति गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
राज्यपाल कल्याण सिंह का नहीं मिला आशीर्वाद

 भाजपा प्रत्याशी व सांसद सतीश गौतम आज राज्यपाल का आशीर्वाद लेने के लिए उनके निवास राज पैलेस आए। सांसद थोड़ी देर बाहर खड़े रहे। बाद नही मिलने की बात सामने आई। फिर सांसद लौट गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट कल्याण सिंह ने दिलवाई थी और जिताने में अहम भूमिका भी निभाई थी।

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