ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा-शुक्र ग्रह पर बादलों से मिल रहे जीवन के संकेत

लंदन
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि शुक्र ग्रह के ऊपर बादलों में फास्फीन गैस मिली है। जिससे यहां जीवन के होने की संभावना बढ़ गई है। फास्फीन एक रंगहीन गैस है जिसकी गंध लहसुन या सड़ी हुई मछली की तरह होती है। इस गैस को माइक्रोबैक्टीरिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उत्सर्जित करते हैं। कॉर्बनिक पदार्थों के टूटने से भी यह गैस थोड़ी मात्रा में पैदा होती है।

टेलिस्कोप से फास्फीन का पता चला
वेल्स कार्डिफ विश्वविद्यालय के एस्ट्रोनॉमर जेन ग्रीव्स और उनके साथियों ने हवाई के मौना केआ ऑब्जरवेटरी में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल टेलीस्कोप और चिली में स्थित अटाकामा लार्ज मिलिमीटर ऐरी टेलिस्कोप की मदद से शुक्र ग्रह पर नजर रखा। इससे उन्हें फास्फीन के स्पेक्ट्रल सिग्नेचर का पता लगा। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है कि शुक्र ग्रह के बादलों में यह गैस बहुत बड़ी मात्रा में है।

शुक्र पर माइक्रो बैक्टीरिया होने की संभावना ज्यादा
वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस रसायनिक प्रक्रिया से शुक्र ग्रह पर माइक्रो बैक्टीरिया के होने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, यह ग्रह अपने तापमान के कारण इंसानों के रहने के लायक नहीं है। शुक्र के सतह का तापमान लगभग 464 डिग्री सेल्सियस होता है। वहीं, धरती की अपेक्षा प्रेशर भी 92 गुना ज्यादा है।

शुक्र की सतह से ऊपर का तापमान धरती के बराबर
शुक्र के सतह से 53 से 62 किलोमीटर की ऊंचाई का तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस है और यहां प्रेशर भी धरती के समुद्र तल के बराबर है। यहां के बादल भी अत्याधिक अम्लीय हैं। जिसके कारण फास्फीन के अणु जल्दी-जल्दी टूट जाएंगे। शोधकर्ताओं ने कहा है कि यहां फास्फीन की खोज होने से जीवन की संभावना बढ़ी है। इसलिए इसकी पुष्टि के लिए अधिक काम करने की जरुरत है।दो मिशन भेजने की तैयारी में नासा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह के लिए दो योजनाओं पर काम कर रहा है। जिससे यहां के वायुमंडल के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। इन दोनों योजनाओं को नासा ने DAVINCI’ और ‘VERITAS’ नाम दिया है। नासा ने यह नहीं बताया है कि इन योजनाओं को कब लॉन्च किया जाएगा।

शुक्र की सतह पर हो रही अज्ञात भूगर्भीय या रासायनिक घटनाएं
वैज्ञानिकों ने कहा कि फास्फीन की उपस्थिति से पता चलता है कि शुक्र की सतह पर अज्ञात भूगर्भीय या रासायनिक प्रक्रियाएं घटित हो रही हैं। इसलिए ग्रह के वायुमंडल में गैस की उत्पत्ति का बेहतर पता लगाने के लिए और शोध की जरुरत है। उन्होंने अपने शोधपत्र में लिखा है कि शुक्र पर फॉस्फीन की उत्पत्ति अज्ञात फोटोकैमिस्ट्री या जियोकेमिस्ट्री से हो सकती है या पृथ्वी पर फॉस्फीन के जैविक उत्पादन के अनुरूप भी यह पैदा हो सकता है।

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