TikTok बेचकर चीन अपने काले राज़ दुनिया को बताना नहीं चाहता, इसलिए वह अब इस कंपनी को बर्बाद करना चाहता है

चीन ने अमेरिका में टिकटॉक का भविष्य सुरक्षित करने और अपनी पोल खुलने से बचने के प्रयासों में एक और पासा फेंका है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी अधिकारियों ने टिक टॉक की किसी अन्य अमेरिकी कंपनी को बाइटडांस द्वारा बेचने का विरोध किया है। यही नहीं चीन टिक टॉक के बिजनेस को अमेरिका में पूरी तरह बंद हो जाने देगा लेकिन किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचेगा।दरअसल, अमेरिका ने चीनी ऐप टिक-टॉक को बैन करने की धमकी दी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने धमकी देते हुए सितंबर तक का समय दिया था और कहा था कि अगर टिकटॉक नहीं बेची गयी तो इस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

उसके बाद से ही टिकटॉक की स्वामित्व रखने वाली बाइटडांस के भीतर खलबली मची गयी थी और वह अमेरिकी कंपनियों से टिक टॉक बेचने के लिए बातचीत करना शुरू कर चुकी थी। बाइटडांस ने माइक्रोसॉफ्ट और ओरेकल सहित संभावित खरीदारों से बातचीत को आगे भी बढ़ा रहा था।परंतु अब यह खबर आ रही है कि बीजिंग बाइटडांस द्वारा टिक टॉक को किसी अमेरिकी कंपनी को बेचने के खिलाफ है। वह अमेरिका में इस वीडियो ऐप को किसी अन्य कंपनी के हाथ में जाने के बजाए बंद देखना पसंद करेगा। चीनी अधिकारियों का मानना ​​है कि अमेरिकी दबाव में आ कर किए गए बिक्री से बाइटडांस और चीन दोनों वाशिंगटन के सामने कमजोर दिखेंगे।

परंतु यह कमजोर न दिखना तो एक बहाना है। ऐसा लगता है कि चीन अपने डेटा चोरी के सबूत अमेरिका के हाथ नहीं लगने देना चाहता है। वह नहीं चाहता कि टिकटॉक पर किसी अन्य कंपनी का कब्जा हो और वह इसके डेटाबेस की जानकारी हासिल करे।

TikTok के दुनिया भर में लगभग आधे बिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। हालांकि, यह कंपनी दावा करता है कि वह किसी भी अमेरिकी डेटा को चीनी सर्वर पर संग्रहीत नहीं करता है लेकिन इस कंपनी पर कई बार डेटा चोरी और सेंसरशिप के कई आरोप लग चुके हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने इस ऐप की सुरक्षा और गोपनीयता की आलोचना करते हुए अनुमान लगाया है कि इस ऐप के जरीये उपयोगकर्ताओं का डेटा बीजिंग के साथ साझा किया जाता है।

NYT की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सरकार के पास टिक टॉक द्वारा चीन को डेटा भेजने के सबूत भी है।

इसमें किसी को हैरान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि चीन की साइबर सिक्योरिटी कानून चीनी कंपनियों को CCP द्वारा नियंत्रित खुफिया कार्यों के समर्थन और सहयोग के लिए मजबूर करते हैं। सिर्फ टिक टॉक ही नहीं, बल्कि किसी भी चीनी कंपनी का उदाहरण देखा जाए चाहे वो हुवावे हो या Xiaomi या फिर Zoom सभी पर डेटा चोरी कर चीन भेजने का आरोप लग चुका है।

यही नहीं The Guardian ने 25 सितंबर को लीक हुए दस्तावेजों के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था जिसमें यह पता चला था कि टिकटॉक ने इस ऐप पर वीडियो सेंसर करने का निर्देश दिया था, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ हो जैसे Tiananmen Square, तिब्बती स्वतंत्रता और हाँग-काँग के मामले।

अब अगर टिक टॉक किसी अमेरिकी कंपनी के हाथ में चली गयी तो इससे चीन के इन कुकर्मों की पोल खुल जाएगी। यही चीन नहीं चाहता। यही कारण है कि अब उसने अमेरिका में टिकटॉक के बिजनेस को बंद करने का इशारा दिया है। चीन किसी भी हालत में दुनिया को अपने टिक टोक के मध्य से किए गए रहस्यों के बारे में बताने का जोखिम नहीं उठा सकता है इसलिए वह कंपनी को बेचने के बजाय उसे बंद करने के लिए तैयार है।

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