कांग्रेस के हाथ को चाहिए जनता का साथ, तभी यूपी में बनेगी बात…

  • -चुनावों में शर्मनाक हार के बावजूद तेवरों में कमी नहीं
  • -वर्षो बाद इतने दिनों के लिए जेल गया कोई अध्यक्ष
  • -प्रेसरिलीज और ट्विट तक सिमटी सपा और बसपा

योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। चुनावों में कांग्रेस की भले स्थिति से बद से बद्तर हो गयी हो। विधानसभा में पांचवी पायदान पर पहुंच गयी हो। बावजूद इसके उसने हिम्मत नहीं हारी है। विपक्ष की जिन बड़े दलों को मुद्दों को लेकर आक्रामक होना चाहिए था वह विरोध के नाम पर केवल गाल बजा रहे है। फिलवक्त तो कांग्रेस ही ऐसी पार्टी दिख रही है जो खासतौर से यूपी में जनसमस्याओं को लेकर सदन से सड़क तक वहीं आक्रामक तेवर दिखा रही है। विपक्ष की बाकी दोनो पार्टियां सपा और बसपा केवल ट्विट और प्रेसरिलीज की पालिटिक्स पर निर्भर है। पिछले दोनों चुनावों (विधानसभा और लोकसभा)और उपचुनावों में भले कांग्रेस बुरी तरह हारी हो लेकिन इसके बावजूद उसने अपनी आक्रामकता का बरकरार रखते हुए पिछले तीन वर्षो में योगी सरकार के खिलाफ जिस तरह विरोध प्रदर्शन करके उसने जनसमर्थन जुटाया।

उसके बाद से सरकार के साथ ही विपक्ष के बाकी दलों की हताशा और बैचेनी साफ देखी जा सकती है। सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लाठियां खाने और जेल जाने के साथ आंदोलित कांग्रेसियों ने राजभवन तक दस्तक देकर सरकार के खिलाफ ज्ञापन देकर अपना विरोध दर्ज कराया। कांग्रेस की इस कवायद का आने वाले दिनो कितना राजनीतिक लाभ मिलेगा इस बारे में कोई भविष्यवाणी कर पाना जल्दबाजी होगा। पार्टी के बुजुर्ग नेताआं की माने तो राष्टï्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के प्रदेश प्रभारी बनने के बाद प्रदेश के कांग्रेसियों मे जो ऊर्जा आई है। उसी का परिणाम है कि आज जनता अपने मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ कांग्रेस को अपने साथ खड़ा पा रही है।

लाँकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को घरो तक पहुंचाने के मुद्दे पर कांग्रेस ने बसे मुहैया कराने के साथ सरकार के साथ-साथ विपक्ष को आइना दिखाया। उसकों लेकर सरकार की बैचेनी देखते बनी। मुख्यविपक्षी दल समाजवादी पार्टी हो या बसपा दोनों ने ही प्रवासियों मजदूरों को लेकर बड़े-बड़े प्रेस नोट जारी किए ट्विट किए लेकिन किसी पार्टी ने कांग्रेस जैसी पहल करके नहीं दिखाई। लाँकडाउन के दौरान ही नहीं कांग्रेस ने कानून व्यवस्था,गन्ना किसानों के भुगतान जैसी ज्वलंत समस्याओं को लेकर सरकार घेरने में कहीं कोई कसर नहीं उठा रखी। कानून व्यवस्था जैसे ज्वलंत मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने शहर की मुख्ससड़कों से लेकर भाजपा मुख्यालय तक का घेराव किया। यह पहला मौका रहा जब कांग्रेस का कोई प्रदेशाध्यक्ष इतने दिनों बाद जनहित से जुड़े किसी मुद्दे को लेकर इतने लंबे समय तक के लिए जेल गया।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान की माने तो प्रियंका गांधी के नेतृत्व से जहां कांग्रेसियों में चेतना जागी तो अजय कुमार लल्लू के प्रदेशाध्यक्ष बनने और उनकी कार्यशैली ने प्रदेश के कार्यकर्ताओं सड़कों पर निकलने के साथ ही सरकार के खिलाफ आक्रामक होने पर विवश किया। जानकारों की माने तो अजय कुमार लल्लू ऐसे पहले प्रदेशाध्यक्ष है जो जनता के मुद्दे को लेकर जनता के बीच है। उनकी कार्यशैली को लेकर कार्यकर्ताओ के साथ जनता में भी उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है। विधानसभा में संख्याबल कम होने के बाद भी सरकार के खिलाफ आक्रामक होने में वे किसी से पीछे नहीं रहते।

पिछले कई चुनावों में कांग्रेस भले कोई बेहतर प्रदर्शन न कर पाई हो लेकिन पांचवी पायदान पर खड़े होने के बाद उसके मुख्य लड़ाई में शामिल होने में कोई कसर नहीं दिख रही है। हालांकि यूपी में विधानसभा चुनाव होने में अभी डेढ़ साल का समय बाकी है भाजपा सहित विपक्ष की बाकी पार्टियां एलेक्शन मोड में है तो कांग्रेस सरीखी पार्टियां जनसमस्याओं को लेकर जनता के बीच है।

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