कोरोना : दवा के लिए भारत को धमकी दे रहे ट्रंप की अमेरिका में बुरी तरह हालत पस्त

वाशिंगटन : चुनावी बेला में कोरोना महासंकट के कुप्रबंधन को लेकर अपने घर में बुरी तरह से फंसे अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने स्‍पष्‍ट संकेतों में भारत को धमकी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। दरअसल, अमेरिका में 10,876 लोगों की कोरोना से मौत हो गई और ट्रंप अपनी जनता को केवल कोरी दिलासा दे रहे हैं।

स महामारी को रोकने में पूरी तरह से फेल ट्रंप काफी निराश हैं। इसी हताशा में अमेरिकी राष्‍ट्रपति कभी विपक्षी नेताओं और कभी ईरान पर जुबानी हमले करके पूरे मुद्दे को डायवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप को यह डर सता रहा है कि इसी साल अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और अगर कोरोना वायरस संकट का जल्‍द समाधान नहीं हुआ तो उनके दोबारा जीत में मुश्किल आ सकती है।

ट्रम्प का धमकी भरा अंदाज

राष्ट्रपति ट्रम्प ने मंगलवार ने धमकी देते हुए कहा कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाता तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि भारत ने अमेरिका के दवा के ऑर्डर को रोककर पर क्यों रखा है?

व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा, ‘‘मैंने अभी मोदी के फैसले के बारे में नहीं सुना। मैं जानता हूं कि उन्होंने दूसरे देशों में दवा के निर्यात को रोक रखा है। मेरी हाल ही में उनसे अच्छी बात हुई थी। भारत के अमेरिका के साथ रिश्ते काफी बेहतर हैं। अब यह देखना होगा कि वे हमें दवा भेजने की अनुमति देते हैं या नहीं।’’ ट्रम्प से बातचीत के बाद मोदी ने कहा था कि अमेरिका के दवा भेजने के ऑर्डर पर विचार करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में भेजी जाएंगी

कोरोनावायरस की रोकथाम को लेकर भारत ने बड़ी पहल की है। सरकार ने मंगलवार को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल दवाओं के निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध हटाया दिया। विदेश मंत्रालय ने बताया, ‘‘यह फैसला मानवीय आधार पर किया गया है। ये दवाएं उन पड़ोसी देशों को भेजी जाएंगी, जो भारत से मदद की आस रखते हैं। हालांकि, घरेलू जरूरतें पूरी होने के बाद स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर एक्सपोर्ट किया जाएगा।’’ दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से गुहार लगाई थी कि बीमारी से निपटने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की खेप भेजें।

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा, ‘‘कोरोना से बुरी तरह प्रभावित कुछ देशों को दवाएं भेजी जाएंगी। पूरे मामले को लेकर किसी भी तरह के कयास और राजनीतिक रंग दिए जाने को हम खारिज करते हैं।’’ वैज्ञानिकों ने मलेरिया निरोधक दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को कोरोना से लड़ने में कारगर बताया है।

चुनाव से पहले विपक्ष ने बोला हमला
उधर, संकट की इस घड़ी में विपक्षी नेताओं ने भी ट्रंप पर हमले तेज कर द‍िए हैं। विपक्षी नेता डोनाल्‍ड ट्रंप पर कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने कोरोना संकट को कम करके देखा और उस अनुसार तैयारी नहीं की। इस आलोचना की वजह दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश में हर दिन तेजी से बढ़ रहा संक्रमण है जो अब तक साढ़े तीन लाख से ज्‍यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। पूर्व उपराष्ट्रपति और डेमोक्रैटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति की रेस में खड़े हुए जो बाइडेन ने ट्रंप पर अटैक करते हुए कहा कि आप कोरोना के लिए जिम्मेदार नहीं लेकिन उससे निपटने की तैयारी में असफल रहे हैं।

बाइडेन ने ट्वीट किया, ‘डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन वह इससे निपटने में हमारे देश को तैयार करने में असफल ऱहने के लिए जिम्मेदार हैं।’ बाइडेन ने साथ ही देश में एकबार फिर ओबामाकेयर को लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘ट्रंप को तत्काल ओबामाकेयर शुरू करने की जरूरत है। इस वक्त छोटापन और अपनी विचारधारा दिखाने का वक्त नहीं है, बल्कि जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी हुई हैं।’

मास्‍क पहनने की सलाह नहीं मान रहे ट्रंप
इससे पहले मिनसोटा से डेमोक्रैट सांसद इल्हाम उमर ने ट्रंप पर आरोप लगाया था कि उनके कुप्रबंधन से अमेरिका में लाखों जिंदगियां जाएंगी। वहीं, कोरोना का केंद्र बन चुके न्यूयॉर्क के मेयर ने भी ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्हें लगा कि हमारे पास तैयारियों के लिए काफी वक्त है जबकि हमारे पास वक्त कम था। उन्होंने कोरोना संकट को कम आंका। यही नहीं जब पूरे अमेरिका में लोगों का मास्‍क पहनने की सलाह दी जा रही है तो ट्रंप ने कहा है कि वह मास्‍क नहीं पहनेंगे। वहीं CDC ने लोगों को सलाह दी है कि वे घर से बाहर निकलें तो कपड़े का मास्क पहनकर निकलें।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर सच नहीं दावा
यही नहीं जिस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) दवा के लिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति ताव दिखा रहे हैं, उसको लेकर खुद विशेषज्ञ ही सहमत नहीं हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर इस दवाई का सेवन सही तरीके से नहीं किया गया तो इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। बढ़ते संकट के बीच यूरोप, अमेरिका और चीन में इस दावाई के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस जारी किया गया है। लेकिन ब्रिटेन ने अपने डॉक्टरों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। इसका कहना है कि जब तक इस दवाई पर जांच नहीं हो जाती तब तक इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मरीजों पर न किया जाए। ट्रंप इस दवा को ‘गेमचेंजर’ बता चुके हैं।

वैक्‍सीन के दावे पर भी फेल हुए थे ट्रंप
इससे पहले ट्रंप कोरोना वायरस के वैक्‍सीन को लेकर किए गए अपने दावे को लेकर भी बुरी तरह से फेल साबित हुए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति कहा था, ‘मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि कोरोना वायरस से लड़ने की दिशा में काम शुरू हो गया है। एक व्‍यक्ति को वैक्सीन दी गई है और इसका चरण-1 क्लिनिकल परीक्षण शुरू कर दिया गया है। यह इतिहास में सबसे तेज वैक्सीन तैयार करने की दिशा में एक कदम उठाया गया है। हम एंटी वायरल थेरेपी और अन्य उपचार विकसित करने के लिए भी तेजी से कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास कुछ आशाजनक शुरुआती परिणाम हैं।’ ट्रंप के इस दावे के बाद भी वैक्‍सीन का कहीं पर पता नहीं है। यही नहीं उन्‍होंने एक जर्मन मेडिकल कंपनी से कथित तौर पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का विशेषाधिकार खरीदने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें भी बुरी तरह से फेल हो गए थे।

लाशों से पटे अस्‍पताल, सबसे मुश्किल में अमेरिका
कोरोना के कहर से जूझ रहा अमेरिका अपने सबसे मुश्किल दौर में पहुंच गया है। न्‍यूयॉर्क समेत कई राज्‍यों में लाशों की लाइन लगी है। अस्‍पतालों में डॉक्‍टरों के पास मास्‍क और अन्‍य जरूरी सामान नहीं है। खुद अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप यह स्‍वीकार कर चुके हैं कि कम से कम दो लाख लोगों की इस किलर वायरस से मौत होगी। इस महासंकट के बाद भी सुपरपावर अमेरिका के राष्‍ट्रपति अपने नागरिकों की जान बचाने के बजाय दादागिरी दिखा रहे हैं। कनाडा ने तो आरोप लगाया है कि अमेरिका उनके लिए भेजे जाने वाले मास्‍क को रोकना चाहता है।

 

अमेरिका में 10 हजार से ज्यादा मौतें
इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में मौतों का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित न्यूयॉर्क स्टेट में पांच हजार मौतें हुई हैं। इनमें आधा से ज्यादा केवल न्यूयॉर्क सिटी में है। वहीं, राज्य में एक लाख 20 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं और 16 हजार से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, अमेरिका ने एशियाई देश में फंसे अपने 29 हजार नागरिकों को 13 विशेष विमानों से अपने देश बुला लिया है। ये नागरिक साउथ एंड सेंट्रल एशियाई देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में फंसे हुए थे। यह जानकारी दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों की अमेरिका की सीनियर डिप्लोमेट एलिस वेल्स ने प्रेस वार्ता में दी। अकेले भारत में ही 1300 अमेरिकी नागरिक थे।

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