कोरोना का बढ़ता कहर : जानिए लॉकडाउन है फिर भी हॉटस्‍पॉट क्‍यों हो रहे सील? समझिए दोनों में फर्क

नई दिल्‍ली
कोरोना वायरस महामारी रोज सैकड़ों भारतीयों को शिकार बना रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 773 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 32 लोगों ने अपनी जान गंवाई। देश में 5 हजार से ज्‍यादा पॉजिटिव केसेज हैं, डेढ़ सौ लोग मारे जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन किया था, मगर मामले बढ़ते जा रहे हैं। कुछ जगह तो ऐसी हालत है कि पूरे इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ जा रहा है। कई इलाकों को सील किया गया है। बुधवार को उत्‍तर प्रदेश ने भी 15 जिलों में हॉटस्‍पॉट्स को पूरी तरह सील करने के ऑर्डर दे दिए। इसके बाद, यहां पर पैनिक फैल गया। लोग बड़ी संख्‍या में दुकानों पर निकल आए। आखिर लॉकडाउन है तो सील करने की जरूरत क्‍या है? दोनों में क्‍या फर्क है?

लॉकडाउन के बावजूद पड़ी सीलिंग की जरूरत
लॉकडाउन के दौरान, जरूरी सामान लेने बाहर जा सकते हैं। फल, सब्जियां, राधन, दूध, दवाइयों के लिए बाहर जाने की इजाजत होती है। इमरजेंसी सर्विसेज चलती रहती हैं। मगर बेवजह घरों से निकलने पर कानूनी रोक है। देश में लॉकडाउन तो 25 मार्च से लागू है, इसके बावजूद इसी पीरियड में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, केरल, मध्‍य प्रदेश, दिल्‍ली का हाल बेहद बुरा है। इंदौर, भीलवाड़ा जैसे शहरों में तो लॉकडाउन के बावजूद मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। तो अपनाया गया इससे आगे का स्‍टेप। यानी कर्फ्यू और सीलिंग।

सख्‍ती ज्‍यादा, छूट बिल्‍कुल नहीं
जिन इलाकों से कोरोना मामलों का विस्‍फोट हुआ, वहां सबकुछ सील कर दिया गया। लोगों को घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई। दूध-राशन के लिए भी नहीं। सब दुकानें बंद करा दी गईं। डोर-टू-डोर स्‍क्रीनिंग शुरू की गई। संदिग्‍ध लोगों के सैंपल लिए गए। हर पॉजिटिव केस की कॉन्‍ट्रैक्‍ट ट्रेसिंग हुई ताकि कोई छूट ना जाए। कुछ मिलाकर इन इलाकों को बाकी दुनिया से भौतिक रूप से काट दिया गया, ताकि संक्रमण इन इलाकों से बाहर ना जाए। यही यूपी के उन जिलों में भी होगा, जहां हॉटस्‍पॉट्स सील करने के आदेश दिए गए हैं। कई जिलों में हालात ऐसे बने कि पूरे जिले को सील करना पड़ा। भीलवाड़ा और इंदौर इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं।

हर जिले के लिए बना प्‍लान
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हॉटस्पॉट के रूप में पहचाने जाने वाले क्षेत्रों में प्रभावी लॉकडाउन उपायों को अपनाया जा रहा है। संक्रमण पर जागरूकता अभियान भी जारी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक अधिकारी ने कहा कि 139 सरकारी लैब्‍स और 65 प्राइवेट लैब्‍स में एक दिन में 13,345 टेस्‍ट्स किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए स्टेडियमों का उपयोग भी किया जा सकता है। संक्रमण के प्रसार की चेन को तोड़ने के लिए देश में प्रत्येक जिले के लिए कार्य योजना बनाई गई है। अब तक 1.21 लाख टेस्‍ट किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि देश में ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ का पर्याप्त भंडार है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार की प्रतिक्रिया और तैयारी तेज हो गई है।

लॉकडाउन आगे बढ़ जाएगा?
कोरोना वायरस के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए लॉकडाउन हटने की संभावना बेहद कम है। बुधवार को सर्वदलीय बैठक में भी यही बात सामने आई कि 80 फीसदी राजनीतिक पार्टियां लॉकडाउन जारी रखने के पक्ष में हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘राज्य, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के विस्तार का सुझाव दिया है।’ पीएम मोदी ने मीटिंग में कहा कि देश में स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ के समान है। इसके लिए कड़े फैसलों की जरूरत है और हमें निरंतर सतर्क रहना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि कोरोनावायरस के खिलाफ लंबी लड़ाई है। सभी की जिंदगी बचाना सरकार की प्राथमिकता है। पीएम ने 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। इसी में लॉकडाउन एक्‍सटेंशन पर फैसला हो सकता है।

‘चरणबद्ध तरीके से हटे लॉकडाउन’
कांग्रेस शासित ज्यादातर राज्य लॉकडाउन को जल्दबाजी में नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने के पक्ष में हैं। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी लॉकडाउन को बढ़ाने के संबंध में केंद्र को पत्र लिखने के लिए तैयार हैं। अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा, “प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद मैंने दो टास्क फोर्स का गठन किया है, क्योंकि जिंदगियां मायने रखती हैं। एक अन्य टास्क फोर्स को लॉकडाउन के मुद्दे को देखने के लिए गठित किया गया है, ताकि चरणबद्ध तरीके से इसे हटाया जा सके।” छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है कि लॉकडाउन उठाने से पहले एक रणनीति तैयार करनी चाहिए। मध्‍य प्रदेश, कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश और उत्‍तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्‍य भी लॉकडाउन जारी रखने की मंशा जाहिर कर चुके हैं।

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