गौस पाक का उर्स बड़े धूमधाम से अकीदत के साथ संपन्न हुआ

सै०अब्दुल खबीर/ क़ुतुब अंसारी

नानपारा/बहराइच- नगर में बड़ी धूमधाम से अकीदत व एहतराम साथ गौस पाक अब्दुल कादिर जिलानी बगदादी रहoअo का उर्स नानपारा में दरगाह गौसिया 11वीं कोठी मैं मनाया गया इस मौके पर अकीदत मंदो ने गागर और चादर पेश की कुरान खानी मिलाद एवं कुल शरीफ हुआ इसमें भारी संख्या में लोगों ने शिरकत की इस मौके पर कमेटी के नदीम चौधरी इंकलाब अशर्फी भोला कुरैशी शफी कुरैशी के अलावा सैयद अब्दुल वाली डॉक्टर शकील आदि ने सहयोग किया सुरक्षा व्यवस्था में कोतवाल नानपारा संतोष कुमार सिंह कस्बा इंचार्ज सुधीर शुक्ला आदि पुलिस बल के साथ मौजूद रहे मालूम हो कि ग्यारहवीं शरीफ की कोठी वक़्फ़ नंबर 50 के नाम से सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है इसको राजा जंग बहादुर खान अपने रियासी वक्त में 1885 ई० से 1892 ई० के बीच में बनवाई थी तभी से उर्दू माह रबिउससानी 9 ,10, 11 तारीखों को तीन रोजा कार्यक्रम होता है

जिसमें जश्ने ग़ौसुल आज़म , परचम कुशाई, कुरान ख़्वानी, नात , मनकबत , कुल शरीफ तकरीर मुशायरा जुलूस चादर गागर फातिहा ,निशानी की ज़ियारत लंगरे आम और बाहर से तमाम उलमा केराम और शायर कव्वाल आते थे तभी से सिलसिला शुरू है।बताया जाता है कि रियासत का कार्यभार संभालने के बाद राजा जंग बहादुर खान इराक के बगदाद शहर गए और बरगाहै गौसे आजम की खानकाह पर रहे उनका मिजाज फकीरी था जब वह गौस आज़म की दरगाह से वापस आने वाले हुए उन्होंने वहां के जिम्मेदारों से गौस पाक की निशानी चाहि ।

जिस पर उस वक्त के सज्जादा नशीन ने राजा जंग बहादुर खान को सरकार की निशानियां दिया और साथ ही बड़े पीर गौस पाक की मज़ार की मिट्टी भी दिया राजा जंग बहादुर ने नानपारा आकर बैरूनी मुल्कों से राजगीर बुलाकर नानपारा में लाल महल के निकट दरगाह का गौसिया का निर्माण कराया तथा उसके के अंदर एक गुंबद बनवाकर उसमें बड़े पीर साहब की मसनवी मज़ार बनवाई और उसके अंदर इराक से लाई गई बड़े पीर साहब की सभी निशानी रखी गयी ग्यारहवीं शरीफ के मौके पर हजरत गौस पाक बड़े पीर अब्दुल कादिर जिलानी बगदादी का उर्स बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा कहा जाता है

दरगाह गौसिया की नींव बाराबंकी देवे शरीफ़ के हाजी वारिस पाक रहमतुल्ला अलेह और और राजा जंग बहादुर ने संयुक्त रूप से रखी थी दरगाह हाल में राजा जंग बहादुर में दूसरे देशों से बेशकीमती झाड़ फानूस हसीन नक्काशी वाले कलाम और बहुत बड़े-बड़े आईने मंगवा कर हाल की सुंदरता बढ़ाई के हाल के बाहर बरामदा औरतों के बैठने के लिए बनवाया गया था

यह सिलसिला चलते -चलते राजा सआदत अली खां के समय में भी बड़े शानो शौकत के साथ चलता रहा मगर राजा शहादत अली खान ने पुराने कार्यक्रम में यह किया कि आखिरी दिन गौसिया हाल में एक जुलूस चादर के साथ जामा मस्जिद जाकर राजा जंग बहादुर की मजार पर चादर चढ़ाते थे कुरान खानी सामूहिक दुआ होती थी l गौस पाक का उर्स बड़े धूमधाम से अकीदत के साथ संपन्न हुआ

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