गहलोत, सचिन पायलट, बागी विधायक और अब ऑडियो टेप, क्या राजस्थान के सियासी ड्रामे की साजिश साफ़ होने लगी है ?

राजस्थान के राजनीतिक समीकरण दिन ब दिन जटिल होते जा रहे हैं। जैसे जैसे अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की तनातनी खुलकर सामने आ रही है, उससे साफ मालूम होता है कि किस प्रकार से अशोक गहलोत सचिन पायलट पर गद्दारी का आरोप लगाकर उन्हें पूरी तरह से दरकिनार करने का खाका बुन चुके थे, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि गहलोत अपने ही बुने हुए जाल में खुद ही बुरी तरह फंसने लगे हैं।

पर ये सब हुआ कैसे? इसके लिए हमें जाना होगा कुछ हफ्ते पूर्व, जब ये सारी तनातनी शुरू हुई थी। सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत को एक ऑडियो क्लिप के जरिये जानकारी हाथ लगी थी कि सचिन पायलट के खेमे के कुछ विधायक राजस्थान सरकार के विरुद्ध बगावत करने जा रहे हैं, और सचिन पायलट शायद वही करें जो अब से कुछ महीने पूर्व मध्य प्रदेश में काँग्रेस के कद्दावर नेता और अब भाजपा के नेता बन चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था।

अब अशोक गहलोत को किसी भी हालत में राजस्थान की सत्ता में बने रहना था, तो वे भला इस ‘बगावत’ को कैसे बर्दाश्त करते? लिहाजा उन्होंने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के रास्ते पायलट और उनके समर्थक नेताओं एवं मंत्रियों को राजद्रोह के संबंध में एक पत्र भिजवाया, जिससे सचिन पायलट काफी नाराज़ हो गए, और उन्होंने इस निर्णय के विरुद्ध विद्रोह किया। इसके तुरंत बाद 20 – 25 विधायक पिछले रविवार को हरियाणा के मानेसर में एक होटल में रुके, जिससे गहलोत सरकार पर संकट के बादल छाने लगे।

लेकिन अशोक गहलोत को इसकी बिलकुल चिंता नहीं थी, क्योंकि उन्हें पायलट को नीचा जो दिखाना था। अपने प्रेस वार्ताओं में अशोक गहलोत ने इस बात पर अधिक ज़ोर दिया कि सचिन गलत कर रहे हैं, और वे भाजपा के बहकावे में आकर इस प्रकार के निर्णय ले रहे हैं। सचिन पायलट को डराने के लिए गहलोत प्रशासन ने उन्हें उप मुख्यमंत्री और पार्टी के कई अहम पदों से भी हटवाया, लेकिन पायलट का गुस्सा कहीं से भी कम नहीं हुआ। जैसे ही पायलट ने स्पष्ट किया कि वे भाजपा नहीं जॉइन कर रहे हैं, बल्कि अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ रहे हैं, तो पासा उल्टा पड़ता दिखाई दिया। पायलट की दृढ़ता को देखते हुए कई पार्टी नेताओं, जैसे जितिन प्रसाद, प्रिया दत्त, मिलिंद देवड़ा जौसे नेताओं ने पायलट के समर्थन में ट्वीट करते हुए पार्टी हाइकमान को अपने निर्णय पर पुनः विचार करने को भी कहा।

अब ऐसे में अशोक गहलोत क्या करते? पहले तो उन्होंने पायलट समेत 18 ‘बागी’ विधायकों को अयोग्यता का नोटिस थमाया। इसके अलावा उन्होंने प्रशासन के साथ वो ऑडियो क्लिप रिलीज़ कराई, जिसके अंतर्गत उन्हें शक हुआ था कि पायलट पार्टी विरोधी कार्य में लिप्त हैं। कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट खेमे को एक और झटका देते हुए दो बागी विधायक विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया। इसमें भाजपा नेता और कद्दावर कैबिनेट मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का भी नाम सामने आया है।

परंतु ये दांव भी उल्टा पड़ गया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने न केवल इस क्लिप को झूठा बताया, बल्कि ये भी स्पष्ट किया कि इस प्रकरण से उनका कोई लेना देना नहीं है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने दावा किया कि ऑडियो क्लिप में जिस प्रकार की बोली में बात हुई है, उससे उनका दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। इसके अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए कहा कि जिसको जिस प्रकार की जांच करानी है, वे उसके लिए पूरी तरह तैयार है। गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान बाद इस ऑडियो टेप की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कोर्ट जाकर रही सही कसर तो सचिन पायलट ने पूरी कर दी है। यहां तक कि राहुल गाँधी ने भी कह दिया है कि सचिन पायलट के लिए पार्टी के दरवाजे अभी भी खुले हैं।

ऑडियो क्लिप के पीछे अब साजिश की बू आने लगी है ऐसे में अशोक गहलोत सकपका गए हैं, क्योंकि अब पार्टी हाइकमान भी उनकी हाँ में हाँ मिलाने से हिचकिचा बर रहा है। स्वयं सचिन पायलट ने पी चिदम्बरम से बात की, जिससे यह सिद्ध होता है कि गहलोत सचिन पायलट को झुकाने में पूरी तरह नाकाम सिद्ध हुए हैं, और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अशोक गहलोत अपने ही बुने जाल में पूरी तरह फंसने लगे हैं। सचिन पायलट ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उन्हें सरकार से दरकिनार किया। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद और डिप्टी सीएम की कुर्सी मुक्त करने के बाद अब उनकी विधायकी को खत्म कराने का दांव चला और वो सफल भी हो रहे थे, पर ऑडियो क्लिप पर गहराते शक ने राजस्थान की राजनीति में नया मोड़ ला दिया।

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