गोरखपुर शिक्षक भर्ती घोटाला : 37 शिक्षकों पर गिरी गाज, पढ़े पूरा मामला…

– राजघाट थाने में दर्ज हुआ मुकदमा
– बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तकरीबन एक माह पूर्व दी थी तहरीर
– बर्खास्तगी की कार्रवाई के बाद पुलिस ने लटकाया था मामला

गोरखपुर । महीनों पूर्व सामने आए शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। जिला बेसिक अधिकारी (बीएसए) द्वारा महीने भर पहले दिए गए तहरीर पर पांच मार्च को दर्ज हुए मुकदमे से शिक्षा विभाग में हड़कंप है।

आरोपी बने इन 37 शिक्षकों पर दूसरे के नाम और पते पर नौकरी करने का आरोप है। मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपितों के नाम-पाते साझा करने में आनाकानी करने वाली राजघाट पुलिस पर अब सन्देह के घेरे में है। हालांकि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर गुरुवार की देर शाम को सभी आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। आरोप है कि आरोपितों से जुड़ी जानकारियों को राजघाट पुलिस गुरुवार की देर रात तक छिपाती रही। राजघाट थाने में अपराध संख्या 39/2020 में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं 417, 419, 420, 423, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

यह है मामला

समय-समय पर हुई भर्तियों में गोरखपुर में शिक्षक के रूप में नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच होती रही है। इस दौरान इनमें 37 ऐसे आरोपियों के नाम सामने आए थे, जो दूसरे के प्रमाण पत्रों या अभिलेखों या नाम-पते पर नौकरी करते पाए गए थे। जांच के बाद तत्कालीन 37 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी और उन्हें बर्खास्त किया गया था। इस दौरान ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर राजघाट पुलिस को दी गयी थी, लेकिन पुलिस ने तहरीर मिलने के तकरीबन एक माह बाद मुकदमा दर्ज किया है।

बेसिक शिक्षा विभाग को नहीं दे सकते क्लीनचिट

वरिष्ठ पत्रकार राजीवदत्त पांडेय का कहना है कि 37 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी वही रही, जिसके आधार पर अन्य शिक्षकों की भर्ती हुई। फिर सवाल यह है कि पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया और गहन सत्यापन के बावजूद इस तरह के मामले कैसे सामने आ रहे हैं। इतनी बड़ी चूक कैसे हुई, यह जांच का विषय है। बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय को क्लीन चिट नहीं दिया जा सकता है। बीएसए कार्यालय के जिम्मेदारों की मिलीभगत होने से भी इनकार नहीं कर सकते।

बोले बीएसए

इस सम्बंध में बीएसए बीएन सिंह का कहना है कि पिछले दिनों हुई कार्रवाई में इन सभी 37 शिक्षकों को दोषी पाया गया था। तहरीर देने के तकरीबन एक माह बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। बेसिक शिक्षा विभाग अपनी कार्रवाई कर चुका है। अब पुलिस को आगे की कार्रवाई करनी है।

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