हरियाली तीज के दिन स्त्रियां करती हैं सोलह श्रृंगार, जानिए इनका महत्व

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्‍व है। यह महिलाओं के सजने संवरने और खुशियां मनाने का त्‍योहार है। सावन मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को हर साल हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। यह मुख्‍य रूप से पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश, राजस्‍थान और दिल्‍ली में मनाया जाता है। तीज पर महिलाएं पति की दीर्घायु और अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की कामना के लिए व्रत करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती जैसा वैवाहिक जीवन प्राप्‍त करने के लिए यह व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्‍व और अन्‍य खास बातें…

हरियाली तीज के दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. सोलह श्रृंगार अखंड सौभाग्य की निशानी होती है. इसलिए हरियाली तीज का स्त्रियां साल भर इंतजार करती हैं. हरियाली तीज पर वर्षा ऋतु प्रसन्न होती है और वर्षा ऋतु की प्रसन्नता धरा पर हरियाली के रूप में दिखाई देती हैं. हरियाली नव सृजन की निशानी है. भगवान शिव को नव कल्याण और नव सृजन का का जनक कहा जाता है.

चातुर्मास आरंभ हो चुके हैं. चातुर्मास सावन का प्रथम मास है. हरियाली तीज सावन मास का महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की प्रथम मिलन हुआ था. सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है. इस दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. आइए जानते हैं सोलह श्रृंगार के अंर्तगत कौन कौन से श्रृंगार आते हैं.

1- पुष्प का श्रृंगार: सोलह श्रृंगार में फुलों से श्रृंगार करना शुभ माना गया है. बरसात के मौसम में उमस बड़ जाती है. सूर्य और चंद्रमा की शक्ति वर्षा ऋतु में क्षीण हो जाती है. इसलिए इस ऋतु में आलस आता है. मन को प्रसन्नचित रखने के लिए फुलों को बालों में लगाना अच्छा माना गया है. फुलों की महक स्फूर्ति प्रदान करती है.

2- माथे पर बिंदी या टिका: इसे भी एक श्रृंगार के तौर पर माना गया है. माथे पर सिंदूर का टिका लगाने से सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है. इससे मानसिक शांति भी मिलती है. इस दिन चंदन का भी टिका लगाया जाता है.

3- मांग में सिंदूर: मांग में सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है वहीं इस स्थान पर सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. इसका अपने वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं.मांग में सिंदूर लगाने से शरीर में विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.

4- गले में मंगल सूत्र: मोती और स्वर्ण से युक्त मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद  मिलती है वहीं इससे प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है. गले में स्वर्ण आभूषण पहनने से हृदय रोग संबंधी रोग नहीं होते हैं. हृदय की धड़कन नियंत्रित रहती है. वहीं मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते हैं इससे मन चंचल नहीं होता है.

5- कानों में कुंडल: कान में आभूषण या वाली पहनने से मानसिक तनाव नहीं होता है. कर्ण छेदन से आंखों की रोशनी तेज होती है. सिर का दर्द कम करने में भी सहायक होता है.

6- माथे पर स्वर्ण टिका: माथे पर स्वर्ण का टिका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाता है वहीं मस्तिष्क का नर्वस सिस्टम भी अच्छा रहता है.

7- कंगन या चूडियां: हाथों में कंगन या चूडियां पहनने से रक्त का संचार ठीक रहता है. इससे थकान नहीं नहीं होती है. साथ ही हार्मोंस को भी नहीं बिगड़ने देती हैं

8- बाजूबंद: इसे पहनने से भुजाओं में रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है. दर्द से मुक्ति मिलती है. वहीं इससे सुंदरता में निखार आता है.

9- कमरबंद: इससे पहनने से पेट संबंधी दिक्क्तें कम होती हैं. कई बीमारियों से बचाव होता है. हार्निया जैसी बीमारी होने का खतरा कम होता है.

10- पायल: पायल पैरों की सुंदरता में चारचांद लगाती हैं वहीं इनको पहनने से पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित करती है. इसका एक बड़ा कार्य महिलाओं में वसा को बढ़ने से रोकना भी है वहीं चांदी की पायल पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाती हैं.

11- बिछिया: बिछिया को सुहाग की एक प्रमुख निशानी के तौर पर माना जाता है लेकिन इसका प्रयोग पैरों की सुंदरता तक ही सीमित नहीं है. बिछिया नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां को मजबूत बनाए रखने में भी मददगार होती है.

12- नथनी: नथनी चेहरे की सुंदरता में चारचांद लगाती है. यह एक प्रमुख श्रृंगार है. लेकिन इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. नाक में स्वर्ण का तार या आभूषण पहनने से महिलाओं को दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है.

13- मुद्रिका या अंगूठी: अंगूृठी पहनने से रक्त का संचार शरीर में सही बना रहता है. इससे हाथों की सुंदरता बढ़ती है. इससे पहनने से आलस कम आता है.

14- मेहंदी: हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने की परंपरा है. स्त्रियां खास तौर पर इस दिन हाथों में मेहंदी लगाती हैं. ये सोलह श्रृंगार में प्रमुख श्रृंगार में से एक है. मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करती है.

15- काजल या सुरमा: काजल या सुरमा जहां आंखों की सुरंदता को बढ़ाता है. वहीं आंखों की रोशनी भी तेज करने में सहायक होता है. इससे नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं.

16- मुख सौंदर्य: इसे मेकअप भी कहा जाता है. मुख पर प्रकृति सौंदर्य प्रसाधन लगाने से मुख की सुंदरता बढ़ती है. वहीं इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और ऊर्जा बनी रहती है.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें