चीनी कंपनियाँ बिकेंगी, तो CCP के सारे काले राज बाहर आ जाएंगे!

अपनी बिखरती अर्थव्यवस्था और प्राइवेट कंपनियों पर से कमजोर होते नियंत्रण के बाद अब CCP के सुप्रीमो शी जिनपिंग निजी क्षेत्र को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए कदम उठा चुके हैं। ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग ने यह कदम ByteDance को अमेरिकी हाथों में जाते देख लिया है। उन्हें पता है कि अगर ByteDance अमेरिकी कंपनियों के हाथ में चली गयी तो चीन के डेटा चुराने की पोल खुल जाएगी। इसी कारण अब उन्होंने निजी क्षेत्र के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, साथ ही प्रोपोगेंडा मशीनरी United Front की भूमिका को भी विस्तार करने का निर्देश दिया है।

दरअसल, राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते हैं कि निजी क्षेत्र यानि चीन का प्राइवेट सेक्टर उनके इशारों पर नाचे, जब वह कहें  बैठने तो बैठ जाए और जब वह कहें खड़ा होने तो खड़ा हो जाए। शी जनपिंग चीन की सभी प्राइवेट कंपनियों को CCP के अनुसार काम करवाना चाहते हैं और उन कंपनियों का लगाम अपने हाथ में रखना चाहते हैं इसलिए उन्होंने निजी कंपनियों में CCP की एक पार्टी सेल स्थापित करने के लिए कहा है। हालाँकि निजी कंपनियों पर चीन लंबे समय से नियंत्रण करता आया है, लेकिन अब CCP और शी जिनपिंग इसे और सख्ती से लागू करना चाहते हैं। यानि शी जिनपिंग अमेरिका से इस युद्ध में वह अपने देश के निजी कंपनियों की CCP के लिए वफादारी चाहते हैं।

ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग ने यह फैसला कहीं और से नहीं बल्कि ByteDance अमेरिकी कंपनियों के हाथ में जाता देख यह फैसला लिया है। बता दें कि CCP और ByteDance टिकटॉक को बेचने के मुद्दे पर एक साथ नहीं दिखाई दे रही है। अमेरिका में टिक टॉक को बैन करने की धमकी के बाद ByteDance टिक टॉक को अमेरिकी कंपनी को बेचना चाहती है। इसके लिए वह कई कंपनियों से बातचीत भी कर चुकी है परंतु CCP टिक टॉक को किसी अमेरिकी हाथ में नहीं जाने देना चाहता है चाहे उसके लिए टिक टॉक को बंद की क्यों न करना पड़े। इस मुद्दे पर CCP और ByteDance दोनों के अलग-अलग रुख हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार ByteDance की अमेरिका के Oracle Corp के साथ डील होने की संभावना पक्की हो चुकी थी।CCP को पता है कि अगर टिकटॉक आमेरकी कंपनी के अधिकार में चली गयी तो उसके डेटा चुराने का भेद तुरंत खुल जाएगा। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है कि चीन टिक टॉक के माध्यम से इस ऐप के यूजर्स का डेटा चुराता था।  

अब भविष्य में इस तरह की समस्या न खड़ी हो और कोई प्राइवेट कंपनी CCP के विरोध में न खड़ी हो उसके लिए अब शी जिनपिंग ने इन कंपनियों में पार्टी सेल बनाने का निर्देश दिया है।

बता दें कि निजी सेक्टर में पार्टी सेल बनाने का कानून वर्ष 2000 में लागू किया गया था और 2016 तक चीन के 68 प्रतिशत गैर-सरकारी कंपनियों में पार्टी सेल स्थापित हो चुके थे। यहां तक ​​कि विदेशी कंपनियां भी चीनी सरकार से बच नहीं सकीं थी और चीन में 70 प्रतिशत विदेशी कंपनियों में वर्ष 2016 तक कम्युनिस्ट पार्टी के सेल का गठन किया गया था।

अब ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग निजी क्षेत्र को पूरी तरह से नियंत्रित करना चाहते हैं और उसके लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पार्टी सेल निजी क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति जिनपिंग का एक तरीका है। यूनाइटेड फोरम की भूमिका का विस्तार करने के बाद, अब ये सेल उसके साथ मिलकर काम करेंगे और CCP के एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे।

निजी क्षेत्र में चीन की अर्थव्यवस्था का 60 प्रतिशत हिस्सा है। निजी क्षेत्र 80 प्रतिशत नौकरियां पैदा करता है। अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी धीरे-धीरे सरकारी और निजी के बीच के अंतर को मिटा देना चाहती हैं जिससे CCP की पकड़ चीन की अर्थव्यवस्था पर बनी रहे। जिस तरह से चीन के लोगों का जीवन CCP के नियंत्रण में है उसी तरह अब CCP चाहती है कि वैश्विक स्तर पर काम करने वाली चीनी प्राइवेट कंपनियों का लगाम भी उसके हाथ में ही रहे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ByteDance से सबक लेते हुए जिनपिंग अब चीनी निजी फर्मों पर शत प्रतिशत नियंत्रण चाहते हैं ताकि कंपनियां स्वयं से कोई फैसला न ले पाये जिससे CCP की छवि को नुकसान पहुंचे।

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