दूसरे देशों को कोरोना वैक्सीन देकर भारत बना बड़ा मददगार

डॉ. मोनिका शर्मा

कोरोना आपदा की लड़ाई में भारत वैश्विक समुदाय में एक मददगार देश के रूप में अपनी छवि बना रहा है | सुखद है कि कई देश और संगठन स्वयं हमारे देश के इस सहायक रवैये की सराहना कर रहे हैं  | हाल ही में अमेरिका ने  भारत की तारीफ करते हुए कहा है कि भारत अपने  पड़ोसी देशों को मुफ्त वैक्सीन भेज रहा है | ‘भारत एक सच्चा दोस्त है जो अपने फार्मा का उपयोग वैश्विक समुदाय की मदद के लिए कर रहा है |’ 

बीते दिनों  ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो  ने  भी वैक्सीन भेजे जाने के लिए  भारत का आभार जताते हुए हनुमान जी की तस्वीर ट्वीट की |  प्रतीकात्मक रूप से उन्होंने जीवन सहेजने वाली कोरोना वैक्सीन को  संजीवनी बूटी की तरह माना और  लिखा  कि ‘वैश्विक बाधा को दूर करने के प्रयासों में शामिल एक महान भागीदार को पाकर ब्राजील सम्मानित महसूस कर रहा है  भारत से ब्राजील वैक्सीन का निर्यात कर हमारी सहायता करने के लिए धन्यवाद | ‘  गौर करने वाली बात है   ब्राजील के राष्ट्रपति  ने हिंदी  भाषा में   ‘धन्यवाद’ लिखकर भारत के प्रति अपना आभार जताया | यह तस्वीर और उनका संदेश  बीते दिनों सोशल मीडिया में  छाये रहे  |  सुखद है कि भारत लगातार  मित्र देशों की मदद कर रहा है | ब्राजील अकेला देश नहीं है, जिसके लिए भारत ने  सहायता स्वरुप वैक्सीन पहुंचाई है | 

हमारी सरकार ने सद्भावना के तौर पर नेपाल, बांग्लादेश, सेशेल्स, भूटान,नेपाल और म्यांमार समेत कई पड़ोसी देशों को वैक्सीन भेजी है |  साथ ही मोरक्को और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को भी जल्द ही वैक्सीन पहुंचाई जायेगी |   

वैश्विक संकट के समय सहायक बनने का रवैया भारत की साख  को मजबूती दे रहा है |  ग़ौरतलब है कि  हमारे देश ने कोरोना वायरस लड़ते हुए वैक्सीन बनाकर एक बड़ी  कामयाबी हासिल भारत की है |  इसीलिए  हमारे यहाँ न  केवल अपने नागरिकों के लिए कोरोना वायरस टीकाकरण शुरू किया जा चुका है  बल्कि पड़ोसी देशों  तक  मदद भी पहुँचाई जा रही है | 

सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की  कोवैक्सीन, इन दोनों की वैक्सीन्स की  की दुनियाभर में मांग है | देशव्यापी कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने के बाद अन्य देशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है। स्थिति यह है कि दुनिया के 92 देशों ने  भारत में  बनीं वैक्सीन पाने  के लिए संपर्क किया है।  एक ओर डोमिनिकन रिपब्लिक के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरिट ने प्रधानमंत्री  मोदी को पत्र लिख कर कोरोना वैक्सीन भेजने का अनुरोध किया है तो दूसरी ओर बोलीविया  ने  कोरोना वैक्सीन के 50 लाख डोज लिए सीरम इंस्टीट्यूट के साथ करार किया है। बांग्लादेश को 20 लाख खुराकें सद्भाव्नास्व्रूप भिजवाने के बाद हमारे इस पड़ोसी देश ने चीन की वैक्सीन की जगह भारत को 30 लाख वैक्सीन का ऑर्डर दिया है |

ग़ौरतलब है कि  कोविशील्ड का विकास ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राजेनेका द्वारा किया गया है | पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में  इसका उत्पादन किया जा रहा है | जबकि भारत बायोटेक ने आइसीएमआर  द्वार मिलकर बनाई गई कोवैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन है |  

सर्वे भवन्तु सुखिनः की सोच के साथ  कोविड- 19 के  संकट से उबरने में   मददगार बना भारत, दुनिया के लिए एक मिसाल बन  रहा  है | सद्भावना के तौर कई देशों को वैक्सीन भेजकर हमारा देश सूखती संवेदनाओं के इस दौर में  ‘वसुधैव कुटम्बकम’ के  भाव को सार्थक  कर रहा  है | इसी के चलते  विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने हाल में ट्वीट किया कि  “वैश्विक  कोविड-19  रिस्पॉन्स के लिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निरंतर सहयोग को धन्यवाद |  ज्ञान साझा करने समेत मिलकर लड़ाई लड़ने से ही हम इस वायरस को रोक सकते हैं और लोगों की जिंदगियां और आजीविका बचा सकते हैं |’

  गौरतलब है डब्ल्यूएचओ  ने पहले भी भारत  कोरोना की लड़ाई में सतर्कता और गंभीरता दिखाने के लिए हमारे देश की  सराहना कर चुका है | इतना  ही नही पड़ोसी देश चीन भी भारत में बने कोरोनावायरस टीकों   की प्रसंशा कर चुका है |  चीन ने कहा है कि उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश में बने वैक्सीन गुणवत्ता के  मामले में किसी से भी पीछे नहीं है | एक लेख में चीनी विशेषज्ञों ने एक स्वर में यह माना है कि भारत में निर्मित हुए कोरोनावायरस के टीके चीनी टीकों के मुकाबले किसी भी मामले में कम नहीं है और न ही भारतीय टीके रिसर्च और  उत्पादन  क्षमता  के पक्ष पर  किसी भी स्तर पर कमतर हैं | 

तकनीकी पहलुओं से परे यह बात देश के नागरिकों के लिए भी गर्व करने का विषय है कि कोरोना वायरस की आपदा  से लड़ाई  और  पूरी मानवता की भलाई के लिए  हमारे देश में  बने वैक्सीन काम आ रहे हैं |  भारत की टीका उत्पादन एवं वितरण क्षमता का  ऐसा उपयोग देश का मान और देशवासियों का मनोबल बढ़ाने वाला है | हमारे  देश में बनी दवा पर दुनिया भरोसा कर ही रही है  | यह मेक इन इंडिया और स्वदेसी की सोच को भी  साकार करने वाला है |  ग़ौरतलब है कि भारत को  दुनिया की फार्मेसी  भी कहा जाता है |

   दुनिया भर में  बनने वाले टीकों में से  60 फीसदी  हमारे देश में बनते हैं |   कोरोना आपदा के समय एनी देशों को की जा रही दवा आपूर्ति के साथ ही भारत में चल रहा टीकाकरण  अभियान भी न  केवल सफल है बल्कि वैश्विक स्तर सराहा भी जा रहा है | भारत  कोविड-19 टीके की खुराक देकर सबसे ज्यादा टीकाकरण करने वाला  दुनिया का पांचवां देश बन गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़  अभी तक  25 लाख से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को टीके दिए गए हैं।   हमारे यहाँ शुरूआती छह दिनों में ही दस लाख लोगों का टीकाकरण कर लिया गया  | वहीँ अमेरिका ने 10,   इसराइल ने 14, ब्रिटेन ने 18, इटली ने 19  और  जर्मनी में 20  दिनों में इतने लोगों का टीकाकरण किया जा सका है | 

 भारत के राष्ट्रव्यापी टीकाकरण की रफ्तार और इंतजाम भी दुनिया भर में सराहे जा रहे हैं |  ऐसा होना लाज़िमी भी क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति और बड़ी आबादी वाले हमारे देश में यह वाकई आसान  काम नहीं है | माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्‍थापक और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन के अध्‍यक्ष बिल गेट्स ने  भी  कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीनेशन से जुड़ी भारत की  तैयारियों  की प्रशंसा की है | सुखद है अपने नागरिकों एक लिए सतर्क और  दूसरे  देशों के लिए सहायक  बना भारत  विपदा से जूझने में भी उदाहरण बन रहा है |  

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