जैसे भोजन में नमक की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार जीवन में भक्ति की आवश्यकता होती है : विष्णु दत्त जी महाराज

गाजीपुर जनपद के बाराचवर ब्लाक की ग्राम पंचायत असावर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा को श्रवण करने के लिए कथा प्रेमियो की भीड़ उमड़ी। चित्रकूट से पधारे कथावाचक विष्णु दत्त जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को ज्ञान एवम वैराग्य की कथामृत रूपी वर्षा से सिंचित करते हुवे बताया कि कलयुग के समस्त पापों का नाश करने वाली श्रीमद् भागवत कथा भक्ति ज्ञान बैराग को बढ़ाने वाली है। ध्रुव जी महाराज ने 5 वर्ष की ही तपस्या में भगवान को प्राप्त कर लिया था। व्यक्ति की श्रद्धा विश्वास समर्पण जब तक एकत्र नहीं होंगी तब तक हमें परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती।

भक्ति का नाम ही है प्रेम, जीवन में जब तक प्रेम नहीं है भक्ति आ ही नहीं सकती,क्योंकि नवधा भक्ति में सबसे श्रेष्ठ भक्ति सरल ध्रुव जी महाराज के सरलता के कारण स्वयं नारायण सम्मुख आकर दर्शन दिए, इसलिए जीवन में भक्ति होना बहुत श्रेष्ठ है। जैसे भोजन में नमक की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार जीवन में भक्ति की आवश्यकता होती है। भक्ति से परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है यही जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है। महापुराण में भक्ति ज्ञान वैराग्य त्रिवेणी का अद्भुत संगम है, बड़े-बड़े पापियों को भी भगवान आकर के नाश करते हैं और अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। हिरण्यकश्यप जैसे महा पापी राक्षस का वध करके प्रहलाद जी को हृदय से लगाया और उनकी रक्षा की यह भक्ति का प्रभाव है। भगवान भक्तों के बस में हैं।

महाराज जी ने बताया भक्ति सर्वोपरि है। कथा में रामजी राय उनके सुपुत्र प्रदीप राय,सुुनीत राय सहित काफी संख्या में श्रोता गण उपस्थित रहे।

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