जनता कर्फ्यू के दौरान कानपुर-पीलीभीत DM की बड़ी लापरवाही, भीड़ इकट्ठा कर शंख और घंटा बजाते दिखे-देखे VIDEO

लखनऊ . प्रदेश में जनता कर्फ्यू के दौरान रविवार की शाम कानपुर और पीलीभीत के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान लोगों के साथ शंख और घंटी बजाने को लेकर विवादों में आ गए हैं। उनका वीडियो वायरल होने के बाद दोनों अधिकारियों पर जहां स्वयं गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने के आरोप लग रहे हैं। वहीं पीलीभीत के मामले में क्षेत्रीय सांसद वरुण गांधी ने भी इन पर कार्रवाई की मांग की है। प्रदेश के जिन 16 जनपदो में 25 मार्च तक लॉकडाउन है, उनमें कानपुर तथा पीलीभीत शामिल है।

जनता कर्फ्यू कानपुर और पीलीभीत जिले के वरिष्ठ अफसरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। दोनों जनपदों के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक-पुलिस अधीक्षक रविवार शाम को पांच बजे कोरोना वायरस से सुरक्षा व बचाव को लेकर अपनी ड्यूटी निभा रहे लोगों के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ताली और घंटी बजाने के आह्वान पर स्वयं सड़कों पर उतर आए।

प्रधानमंत्री ने आम जनता से अपने घरों के दरवाजे, बालकनी पर ऐसा करने की अपील की थी, लेकिन पीलीभीत में अधिकारियों ने सड़कों पर अन्य लोगों के साथ मिलकर ऐसा किया। कानपुर के जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंतदेव तिवारी पुलिस बल के साथ घंटी और ताली बजाते नजर आए। इसी तरह पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव एक स्टील की प्लेट को बजाते हुए जहां मार्च कर रह थे। वहीं पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित शंख बजा रहे थे। इनके साथ कुछ अन्य लोग भी थे, जिनमें बच्चे भी शामिल थे।

DM कानपुर 

इस तरह दोनों ही जनपदों में अधिकारियों ने सोशल डिस्टेंस यानि सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिए लागू जनता कर्फ्यू का स्वयं ही उल्लंघन किया। सोमवार को ये वीडियो वायरल होने के बाद दोनों ही जनपदों के अधिकारियों की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना होने लगी। लोग कहने लगे कि जिन अधिकारियों पर ही लॉकडाउन को लागू करवाने की जिम्मेदारी है, अगर वे खुद ही नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे तो आम जनता किस तरह सबक लेगी।

वहीं पीलीभीत मामले में तो स्थानीय भाजपा सांसद वरुण गांधी ने वीडियो का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उधर सूत्रों के मुताबिक सरकार ने भी वीडियो का संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है। वहीं विवाद बढ़ने पर अब अधिकारियों की ओर से अपनी सफाई में कहा जा रहा है कि जनता कर्फ्यू के दौरान वे गश्त पर थे। इस दौरान लोगों की हौसला आफजाई के लिए उन्होंने थाली और घंटी बजाई।

पीलीभीत पुलिस की ओर कहा गया है कि स्थानीय लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने से बचने के लिए मार्च किया गया था। जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक कर्फ्यू को टालने की कोशिश नहीं कर रहे थे। कुछ लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे थे, इसलिए उन्हें वापस जाने के लिए कहा गया। ऐसी स्थिति में बल प्रयोग करना उचित नहीं था।

सवाल इस बात का है जब भीड़ इकट्ठा हुई तो अधिकारियों को लोगों समझाने की बजाए उस भीड़ की अगुवाई करने की क्या जरूरत थी. जब इस बीमारी के फैलने का सबसे बड़ा खतरा सामुदायिक संक्रमण है तो भीड़ कहीं भी न इकट्ठा होने पाए इस पर सबसे पहले ध्यान देना है.

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