कानपुर : अपुष्ट खबरों से मचा कोहराम, बालिका संरक्षण गृह पर जांच जारी, प्रशासन को शासन के आदेश का इंतज़ार!

  • डीएम बोले बालिका के एचआईवी पॉजिटिव और हेपेटाइटिस होने की खबर का स्त्रोत ढूंढ रहे
  • एसपी क्राइम ने कहा पहले अपुष्ट खबर फैलाने वाले की सोशल मीडिया आईडी व एकाउंट की गहन जांच होगी
  • बालिकाओं व संवासिनियों के मूल जनपदों से मंगाये गये के कागजात
  • बालिकाओं को एचआईवी या हिपेटाइटिस होने की आधिकारिक पुष्टि किसी ने भी नहीं की!

अभिषेक त्रिपाठी
कानपुर। शहर के स्वरूप नगर स्थित बालिका संरक्षण गृह में 57 बालिकाओं और संवासिनियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने और उसके बाद 7 संवासिनियों के गर्भवती होने व उनमे दो के एचआईवी पॉजिटिव एवं हिपेटाइटिस-बी होने की अपुष्ट खबरें फैलने के बाद सियासी कोहराम मच गया। जमकर राजनैतिक बयानबाजी भी होने लगी। सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस के ओर से राज बब्बर तक ने बयान दे डाले।

इसपर ऐक्टिव हुये भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने तगड़ा स्टैंड लिया। बालिका संरक्षण गृह की खबरों व बयानों को शहर और सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दिया। वहीं पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को ट्वीट करके इस खबर को चलाने वाले एजाज खान नाम के व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की। वहीं पुलिस और प्रशासन शांति से मामले की जांच में लगे हैं। कलेक्ट्रेट से लेकर एसएसपी आफिस तक, सब कमर कसकर बैठे हैं। अपुष्ट खबरों से विवाद पैदा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिये जिला पुलिस-प्रशासन को शासन के निर्देशों का इंतज़ार है।

पूरे मामले पर डीएम डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि सबसे पहले तो बालिकाओं के एचआईवी पॉजिटिव और हेपेटाइटिस होने की खबर का मूल स्त्रोत ढूंढ रहे हैं। इस बीच दूसरी प्रकार की छानबीन चल रही है। डीएम ने ये भी कहा कि कभी भी एचआईवी या हिपेटाइटिस की जांच कोरोना जांच के साथ नहीं की जा सकती।


एसपी क्राइम ने हमसे बातचीत में कहा कि मामले में फॉर्मल रूप से शिकायत दर्ज कराए जाने पर सबसे पहले सोशल मीडिया पर गलत और अपुष्ट जानकारी को भड़काऊ ढंग से प्रस्तुत करने वाले की आईडी खंगाली जाएगी। वो आईडी असली है या फेक, इसकी जानकारी के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की होगी।


वहीं दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में सांसद सत्यदेव पचौरी ने बताया कि मामले में प्रशासन जांच कर रहा है। संरक्षण गृह की बालिकाएं यहां लाये जाने से पहले ही प्रेग्नेंट थीं। वो बलात्कार या किसी न किसी प्रकार के अपराध का शिकार होती हैं। उनके मूल जिलों से उनसे संबंधित पूरे कागजात मंगवाए जा रहे हैं। जिसके तुरंत बाद पुलिस-परेशान की जांच को दिशा मिलेगी। सांसद ने बालिकाओं के संवासिनी गृह में प्रेग्नेंट होने की बात को झूठी साजिश बताया। कहा जांच व तथ्यों से सच खुद सामने आ जाएगा।


जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार और महिला आयोग सदस्य पूनम कपूर ने भी केवल 17 साल की दो किशोरियों के गर्भवती होने की पुष्टि की थी। एक 7 महीना तो दूसरी 8 महीने के गर्भ से है। उम्र निर्धारण को भी जांच होगी।

एक शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को ही संवासिनी गृह में भर्ती कराया जाता है। भर्ती से पूर्व उनका संपूर्ण मेडिकल चेकअप और जांच की जाती है। अगर जांच में किसी भी प्रकार का कॉन्टेजियस डिजीज, यानी संक्रमण वाली बीमारी निकलती है तो ऐसी सूरत में उनको यहां रखने का सवाल नहीं। इलाज के लिये अस्पताल भेजा जाता है। ऐसे में किसी बालिका या संवासिनी को एचआईवी या हेपेटाइटिस-बी जैसे रोग से ग्रसित होने की संभावना नहीं है। जिन खबरों में बालिकाओं को एचआईवी या हिपेटाइटिस ग्रसित बताया गया, वह नितांत गलत हैं।


प्रशानिक अधिकारी इस मामले में आगे शासन के निर्देशों का इंतज़ार कर रहे हैं। बताया गया कि लखनऊ से किसी प्रकार का आदेश या निर्देश आने के बाद कोई कार्रवाई की जाएगी।

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